एक_मच्छर_की_दुआ

#एक_मच्छर_की_दुआ...

नमरूद ने हज़रत इब्राहीम खलीलुल्लाह को आग में डालने के लिए जो आग जलवाई थी उसकी लपटें कई सौ फीट ऊपर तक जाती थी उसी आग की तपिश से एक मच्छर के पर व पैर जल गए,इस मच्छर ने रब की बारगाह में दुआ की तो मौला ने फरमाया कि ग़म ना कर मैं तेरे ज़रिये ही नमरूद को हलाक़ करवाऊंगा,

ये मच्छर एक दिन नमरूद की नाक के ज़रिए उसके दिमाग में घुस गया और अंदर ही अंदर काटना शुरू किया,उस तक़लीफ से मौत हज़ार दर्जे बेहतर थी,जब वो काटता तो नमरूद अपने सर पर चप्पलों से मारा करता,दीवार में सर मारता हत्ता की इसी तरह तड़प-तड़प कर मर गया.....

                     रब की हिकमत की एक बहुत नन्ही सी मिसाल है कि इतने ज़ालिम बादशाह जिसकी हिफाज़त में सैकड़ों सिपाही रहा करते थे उस को एक लँगड़े मच्छर के ज़रिए मौत अता फ़रमा कर उसने ये पैग़ाम दिया है कि हर ज़ालिम और नाफ़रमान को वक़्त पर ग़ुरूर नही करना चाहिए वरना जो रब रहीम है वो कह्हार भी है...

🖌📚 : - (तफसीरे नईमी,जिल्द 3,सफ़ा- 68/मलफूज़ाते निज़ामुद्दीन औलिया,सफ़ा- 16

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