हजरत शैख सादी रहमतुल्लाह अलैह का कलाम ए दरुद ।

आपको क्या लगता है हजरत शैख सादी रहमतुल्लाह अलैह ने ये कलाम ए दरुद युही लिख दिया ? 
नही नही आईये आपको इसकी हकिकत बताते है वो भी कुरान कि रुह से 👇👇
بَلَغَ العُلیٰ بِکمالِہٖ
کَشَفَ الدُّجیٰ بِجَمالِہٖ
حَسُنَت جَمیعُ خِصالِہٖ
صَلّو علیہِ و آِلہٖ
यानी - वो पहुचे बुलन्दीयो पर अपने कमाल के साथ 
आपके जमाल से तमाम अंधेरे दुर हो गये 
आपकी तमाम खसलते हसीन है 
आप पर आपकी आल पर लाखो दरुदो सलाम 

बुलन्दीयो पर पहुचे कमाल के साथ सुनो कुरान फरमाता है 👇👇
وَ رَفَعۡنَا لَکَ ذِکۡرَکَ
यानी - और हमने आपका ज़िक्र आपके लिये बुलन्द कर दिया ( सुराह नशराह आयत 4) 

कायदा ये होता है कि सामने कोई चिज़ पेश करके कहा जाता है कि इस चिज़ से इस चिज़ को बुलन्द कर दिया 
जैसे कुरान ने फरमाया 👇👇
وَ نَحۡنُ  اَقۡرَبُ اِلَیۡہِ  مِنۡ  حَبۡلِ  الۡوَرِیۡدِ
यानी - और हम तुम्हारी शहे रग से भी ज्यादा करीब है ( सुराह काफ आयत 16 ) 
तो यहा इस आयत मे लफ्ज़े मिन फरमाकर शहे रग पेश कि गयी कि तुम्हारी रग से ज्यादा करीब हु 

लेकिन उपर वाली आयत मे कोई मिन नही है कि हुजुर अलहीस्सलाम का ज़िक्र किससे किस ज़िक्र से बुलन्द किया गया 
यानी कोई हद कोई नाप ,कोई सानी ,कोई मिसाल ,कोई शय ही नही है कि हुजुर अलहीस्सलाम के ज़िक्र कि बुलन्दी का इहाता करने के लिये 
कोई मुकाबिल मे है ही नही कि पेश किया जाए 
इसलिये शैख सादी रहमतुल्लाह अलैह ने फरमाया 

بَلَغَ العُلیٰ بِکمالِہٖ
यानी - बुलन्दी पर पहुचे अपने ही कमाल के साथ।

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