हुजुर नबी ए करीम सल्लल्लाहु अलैह व सल्लम के दौ नामे मुबारक
(हुजुर नबी ए करीम सल्लल्लाहु अलैह व सल्लम के दौ नामे मुबारक )
एक - मुस्तुफा
दौ - मुजतबा
इन दौ नामे मुबारक का लुग्वी मानो मे एक मतलब होता है यानी चुना हुवा - इन्तिखाब ,मुनतखब ,सेलेक्टेड
तो लुगत मे एक ही मतलब है इन दौनो नामो का लेकिन इन नामो कि हकिकत जुदा है
मुस्तुफा लफ्ज़ माद्दा सफु या सफा है और इसी से असतफाअ निकला है जिसका मतलब होता है हर किस्म कि मिलावट से पाक और साफ होना
चुनांचे हुजुर नबी ए करीम सल्लल्लाहु अलैह व सल्लम को अल्लाह ने पैदा फरमाने के लिये और आपके जिस्म ए अतहर को तखलिक फरमाने के लिये उस मिट्टी को चुना जो बिलकुल पाक व साफ और हर मिलावट से पाक थी
इसलिये आपका नाम मुस्तुफा है क्योकि आप का पैकरे बशरी को जब तखलिक किया गया तो आपके जिस्म ए अतहर को हर तरह कि कसाफत से मुसफ्फा रखा गया
और हर एब व कमी से मुज़क्का रखा गया
इसलिये आपके जिस्म से जो पसिना निकलता वो मुश्क से भी ज्यादा खुशबुदार होता
आपके जिस्म पर कभी मक्खी नही बैठती
आपके लुआब ए दहन से पानी मिठा हो जाता
आपकी गुफ्तार इतनी शिरी होता कि दिल चाहता कि बस आप खामोश ना रहे बल्कि गुफ्तुगु करते ही रहे
तो आपका जिस्म ए अतहर का वजुद ही पहले ही चुन लिया गया था इस मुनासिबत से आपको मुस्तुफा कहा जाता है
#WeLoveMohammadﷺ
#उठो_हुज़ूर_ﷺ_की_बात_करो
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