जिन्न
*_مدرسہ حنفیہ وارث العلوم_*
*_ *जिन्न*
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*जिन्न का माने है छिपी हुई मख़लूक़ चूंकि ये नज़र नहीं आते इस लिए इन्हें जिन्न कहा जाता है,ये आग से पैदा किये गए हैं,इनमे कुछ को ये ताक़त मिली है कि जो शक्ल चाहें इख़्तियार कर लें,ये इंसान ही की तरह अक़्ल वाले ज़ी-रूह और जिस्म वाले होते हैं और खाते-पीते जीते-मरते हैं,इनमे मुसलमान और काफिर भी होते हैं मगर मोमिन के मुकाबले काफिरों की तादाद बहुत ज्यादा है और काफ़िरों में यहूदी,नसरानी,मुशरिक,राफजी,ख़ारजी,जबरिया,क़दरिया,बिदअती सब ही होते हैं,जिस तरह इंसानों में सहाबी हुए हैं उसी तरह इनमें भी कई सहाबी हैं जिन्होंने ईमान की हालत में हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की ज़ियारत की है,सहाबी होने वाले जिन्नों की तादाद में बहुत इख़्तिलाफ़ है* *7,9,15,60,300,6000,12000 तक की रिवायत मौजूद है,और इनमें से सभी मोअतबर हो सकती है क्योंकि हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम के हाथों पर अक्सर जिन्नात आकर ईमान लाते रहे हैं,खुद इब्लीस लईन का परपोता हाम्मा बिन हीम बिन लाक़ीस बिन इब्लीस हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम पर ईमान लाया*
*हां मगर नुबूव्वत सिर्फ इंसान को ही मिली लिहाज़ा कोई जिन्न नबी ना हुआ,मोमिन जिन्न के जन्नत में जाने के बारे में इख़्तिलाफ़ है मगर राजेह क़ौल यही है कि जन्नत तो आदम अलैहिस्सलाम की जागीर है औरi उनकी औलाद में ही तक़सीम होगी सो इन्हें जन्नत के बाहर आस-पास के मकान में रखा जाएगा हां ये जन्नत में घूमने को आया जाया करेंगे,इनको हज़रत आदम अलैहिस्सलाम की पैदाईश से 60000 साल पहले ज़मीन पर बसाया गया था,ये 7000 सालों तक ज़मीन पर मुक़ीम रहे मगर इन्होंने इतने अरसे में खूब फितना फ़साद क़त्लो ग़ारत किया तो अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त ने इब्लीस जो कि अब तक अज़ाज़ील था और मरदूदे बरगाह ना हुआ था उसको भेजा कि इन्हें ज़मीन से निकालकर पहाड़ों और जज़ीरो में पहुंचा दे,उसने ऐसा ही किया,जिन्नों की तीन किस्में हैं*
*1. जिनके पर होते हैं और हवा में उड़ा करते हैं*
*2. जो सांपों की शक्ल में रहते हैं*
*3. ये इंसानों की तरह ही होते हैं*
*जिन्न के वजूद का इंकार करना या बदी की ताक़त का नाम जिन्न रखना कुफ़्र है*
*📕 फिरोज़ुल्लोग़ात,सफह 472*
*📕 तफ़सीरे नईमी,जिल्द 1,सफह 269*
*📕 मदारेजुन नुबुव्वत,जिल्द 1,सफह 392*
*📕 बहारे शरीयत,हिस्सा 1,सफह 24*
*📕 ख़ाज़िन,जिल्द 6,सफह 140*
*📕 उम्दतुल क़ारी,जिल्द 7,सफह 87*
*📕 तक़मीलुल ईमान,सफह 9*
📕 *अलमलफ़ूज़,हिस्सा 4,सफह 75*
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*🌹والله تعالیٰ اعلم بالصواب🌹*
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