लोगो कि ज़रुरत को पहचान का उनकी हेसियत के मुताबिक तकसिम करना और बात करना ये हिकमत होती है ,,ये नही कि सबको एक डंडे से हाक दिया जाए।
हुवा यु कि तीन शख्स एक साथ सफर को निकले और मिल बैठे और तीनो ने एक एक दिरहम मिला लिये
एक शख्स ने कहा मुझे अंगुर खाना है
दुसरा शख्स अग्रेज़ था उसने कहा I want to eat grapes
तिसरा शख्स अरबी था उसने कहा أريد أن آكل العنب
अब तीनो झगङने लगे क्योकि तीनो एक दुसरे कि जुबान से भाषा से वाकिफ नही थे ,मुराद को नही जानते थे
चौथा शख्स आया जो तीनो कि भाषा जानता था उसने उनसे तीन दिरहम लिये और अंगूर ले आया वो तीनो खुश हो गये और झगङा खत्म हो गया ,,
एक शख्स हुजुर नबी ए करीम सल्लल्लाहु अलैही व सल्लम के पास आए और पुछा या रसूल्ल्लाहा सबसे अफज़ल अमल क्या है ? आपने फरमाया वक्त पर नमाज़ अदा करना
दुसरा शख्स आया उसने पुछा सबसे अफज़ल अमल क्या है
आपने फरमाया जिहाद करना
तिसरा शख्स आया पुछा सबसे अफज़ल अमल क्या है
आपने जवाब दिया भुखे को खाना खिलाना
चौथा शख्स आया पुछा सबसे अफज़ल अमल क्या है
आपने फरमाया सबको सलाम करना ,
तो ये अलग अलग जवाब क्यो ? अफज़ल अमल तो एक ही हो सकता है ?
तो सुनो इसलिये कि ईमाम वही होता है जो सबकी मुराद को सबकी तलब को सबकी ज़रुरत को पहचान ले
जो शख्स जिहाद मे सुस्त था उसके लिये जिहाद सबसे अफज़ल अमल था
जो नमाज़ मे सुस्त था उसके लिये नमाज़ सवसे अफज़ल अमल था
जो खैर ख्वाही मे कमज़ोर था उसके लिये सलाम अफज़ल था
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