18 ज़िल हिज्जा बा मुताबिक 9 अगस्त उर्स ए पाक उस्मान ग़नी रदिअल्लाहु तआला अन्हु।
18 ज़िल हिज्जा बा मुताबिक 9 अगस्त उर्स ए पाक उस्मान ग़नी रदिअल्लाहु तआला अन्हु।।*_ (हज़रत उस्मान ग़नी रजिअल्लाहु त'अला अन्हु) "आपका सिलसिलाये नस्ब इस तरह है उस्मान बिन अफ्फान बिन अबुल आस बिन उमैय्या बिन अब्दे शम्श बिन अब्दे मुनाफ,अब्दे मुनाफ पर आपका नस्ब हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम से जा मिलता है,और आपकी वालिदा का नाम उर्वी बिन्त करीज़ बिन रबिया बिन हबीब बिन अब्दे शम्श है ये हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की फूफी ज़ाद बहन थी|" आपकी सीरत एक पोस्ट में बता पाना नामुमकिन है मगर हुसूले फैज़ के लिए चंद हर्फ आपकी शान में लिखता हूं मौला तआला क़ुबूल फरमाये| ➤आपकी विलादत आम्मुल फील यानि हाथी वाले वाक़िये के 6 साल बाद हुई| ➤आप हज़रत अबु बक्र व हज़रत अली व हज़रत ज़ैद बिन हारिसा के बाद ईमान लाये और आप चौथे मुसलमान थे| ➤आपका पहला निकाह हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की बेटी हज़रते रुकय्या रज़ियल्लाहु तआला अन्हा के साथ हिजरत से क़ब्ल हुआ,आप हर जंग में हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम के साथ ही रहे मगर जंगे बद्र में शरीक ना हो सके क्योंकि उस वक़्त हज़रते रुकय्या की तबियत बहुत ज़्याद...