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Showing posts from August, 2021

💗दुरुद__शरीफ💗

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##दुरुद__शरीफ 💗 दरूद शरीफ के अंदर एक पूरा निज़ाम पोशीदा है.... हम उसे "निज़ामे मुहब्बत" और "निज़ामे रहमत" कह सकते हैं... दरूद शरीफ पढ़ते ही ये पूरा निज़ाम हरकत में आ जाता है.... मुख्तसर तौर पर इसी निज़ाम को समझ लें... दरूद शरीफ पढ़ने वाले ने... अल्लाह तआला से मुहब्बत का सबूत दिया... क्यूंकि दरूद शरीफ पढ़ने का हुक्म अल्लाह तआला ने दिया है... ये हुई पहली मुहब्बत... दरूद शरीफ पढ़ने वाले ने हुज़ूर अक़दस ﷺ से मुहब्बत का एक हक़ अदा किया....ये मुहब्बत ईमान के लिए लाज़मी है... जब तक रसूलुल्लाह ﷺ‌ की मुहब्बत... हमें हर चीज़ से बढ़ कर हासिल नहीं होगी..उस वक़्त तक हमारा ईमान कामिल नहीं हो सकता... ऐतबार वाला ईमान वही है जिसमें हुज़ूर अक़दस ﷺ से मुहब्बत... सबसे बढ़कर हो.. अपने वालिदैन अपनी औलाद... अपने माल और अपनी जान से भी बढ़कर.... इंसान को जब किसी चीज़ की सच्ची मुहब्बत होती है तो....वो उसका तज़्किरा ज़्यादा करता है... आप बाज़ार चले जाएं...हर तरफ माल,माल और माल की आवाज़ें सुनेंगे... हमें हुज़ूर अक़दस ﷺ की सोहबत हासिल नहीं हुई... मगर हम आप ﷺ की मुहब्बत तो पा सकते हैं...ये मुहब...

खानदान ,कुम्बा ,कबाईल ,या नसब

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(खानदान ,कुम्बा ,कबाईल ,या नसब कि एहमियत क्या है इस्लाम मे ?)  खानदान कुम्बा यानी अन्सारी ,पठान ,मिर्ज़ा ,कुरेश ,सय्यद इनकी इस्लाम मे क्या एहमियत है ? तो कुरान फरमाता है 👇👇 یٰۤاَیُّہَا النَّاسُ  اِنَّا خَلَقۡنٰکُمۡ  مِّنۡ ذَکَرٍ وَّ اُنۡثٰی وَ جَعَلۡنٰکُمۡ شُعُوۡبًا وَّ قَبَآئِلَ لِتَعَارَفُوۡا यानी - ऐ लोगो हमने तुम्हे एक मर्द और एक औरत से पैदा किया और तुम्हे शाखे और कबिले किया के आपस मे पहचान रखो ( सुराह हुजुरात आयत 13) तो अल्लाह ने तमाम रुए ज़मिन के खानदानो और कबिलो कि निसबत एक वाहीद जान एक जोङा यानी हजरत आदम व हजरत हव्वा कि तरफ कि  यानी तुम सब एक जोङे कि पैदावर हो  एक जोङे कि तरफ निसबत करने मे हिकमत यही है कि तुम सब एक हो अपनी अपनी पैदाईश के एतबार से  सब बराबर हो , तुमको कबाईल व खानदानो मे इसलिये फैलाया गया है कि तुम्हारा لِتَعَارَفُوۡ यानी ताआर्रुफ हो ,तुम्हारी शिनाख्त हो तुम्हारी एक पहचान बन जाए  तुम्हारे काम काज कि ,तुम्हारे कलचर कि ,तुम्हारी रविश कि तुम्हारी भाषा शैली कि  जैसे लोहारी खानदान को उनके काम जो वो लोहारी का करते है यानी लोहे ...

खानदान ,कुम्बा ,कबिला ,नसब कि क्या एहमियत है इस्लाम मे ?

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(खानदान ,कुम्बा ,कबिला ,नसब कि क्या एहमियत है इस्लाम मे ?)  निचॆ जो आप फोटो देख रहे है  जिसमे ईंट ,गिट्टी ,बालू रेत ,सीमेंट का फोटो है  ये तमाम चिज़ो कि असल मिट्टी है यानी ये चिज़े मिट्टी ही से बनी है  इनमे से आप किसी चिज़ को ये नही कह सकते कि ईट ऊंची है या गिट्टी निच है ,या सीमेंट ऊंची है या बालू रेत नीच है  नही नही बल्कि इन सबकि असल मिट्टी है ये मिट्टी ही से बनी है  और इन तमाम चिज़ो मे से कोई भी एक चिज़ ना हो तो मकान नही बन सकता  ठिक इसी तरह इन्सानी समाज एक मकान है और ये मकान अन्सारी जुलाहे ,मिर्ज़ा ,लोहार ,पठान ,शेख इन सब से कायम है  सब एक दुसरे कि ज़रुरत है कोई पसमांदा और अशरफ नही है ,,सब इन्सान अशरफ है बुनियादी तखलिक मिट्टी होने कि सबब  हा अगर कोई अकरम व आला है तो अपने फंकशन अपने काम को तकवे के साथ करने कि बुनियाद पर जैसा कि कुरान फरमाता है   ؕ اِنَّ  اَکۡرَمَکُمۡ  عِنۡدَ اللّٰہِ  اَتۡقٰکُمۡ ؕ  यानी - बेशक अल्लाह के यहा तुममे इज़ज़त वाला वो है जो ज्यादा परहेज़गार है ( सुराह हुजुरात आयत 13 ) ...

तारीख के मशहूर ब्रिटिश गवर्नर पर एक कु़तुब ए आलम का फ़ैज़* ☪️

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📜 *तारीख के मशहूर ब्रिटिश गवर्नर पर एक कु़तुब ए आलम का फ़ैज़* ☪️ 1) *सर जेम्स जॉन लाटूश* 🥇 "लाटूश रोड" जो कानपुर और लखनऊ की मशहूर रोड है, इस रोड का नाम सर जेम्स जॉन डिग्गेस लाटूश के नाम पर रखा गया जो कि मॉडर्न हिस्ट्री के मशहूर लेफ़्टिनेंट गवर्नर गुज़रे है, एक दफ़ा लाटूश साहब को अवध के जनरल गवर्नर सर चार्ल्स हॉकस टॉड क्रॉस्थ्वेट ने हज़रत मौलाना शाह फ़ज़्ले रहमान गंजमुरादाबादी रहमतुल्लाह अलैह की खैरियत मिजाज़ के लिए रवाना किया तो लाटूश साहब ने चलते वक़्त दिल में सोचा कि हज़रत मौलाना बाबा से कोई नई चीज़ तोहफ़े में मिल जाती तो क्या खूब अच्छा होता, जब वह हज़रत फ़ज़्ले रहमान साहब की खिदमत में पहुंचे तो हज़रत को कश्फ़ से सारा मामला पता चल गया और आपने फ़रमाया कि, "तुम भी तो लाट (लॉर्ड)  हो ।" यह सुनकर लाटूश साहब को सख्त हैरत हुई और सोचने लगे कि मैं तो अभी प्राइवेट सेक्रेटरी हूँ ।" .इस बात पर फ़िर से हज़रत ने इरशाद फ़रमाया कि, "भाई!  खुदा में सब कुदरत है ।" और फ़िर दो कलमी आम (जिसकी उस वक़्त कहीं भी फ़सल नहीं थी)  लाटूश साहब को देकर रुखसत फ़रमाया, फ़िर सर च...

आवाज़ मुबारक 🌹ﷺﷺﷺ🌹

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आवाज़ मुबारक तमाम अंबियाए किराम عليهم الصلاه والسلام खु़बरू और खुश आवाज़ थे मगर आप ﷺ इन सब से ज़्यादा खु़बरु ओर खुश आवाज़ थे। आप ﷺ खु़श आवाज़ होने के इलावा आप ﷺ बुलंद आवाज़ इतने थे कि जहां तक आप ﷺ की आवाज़ शरीफ पहुंचती ओर किसी की आवाज़ न पहुंचती। बिल खु़सूस खु़त़बो में आप ﷺ की आवाज़ शरीफ घरों में पर्दा नशीन ओ़रतों तक पहुंच जाती थी।  हज़रते आ़इशा सिद्दिका़ رضي الله عنها फरमाती हैं कि एक दिन रसूलुल्लाह ﷺ मिम्बर पर रौनक़ अफ़रोज़ हुए। आप ﷺ ने हाज़िरीन से फरमाया कि खु़त़बा सुनने के लिए बैठ जाओ इस आवाज़ को हज़रते अ़ब्दुल्लाह बिन रवाहा़ رضي الله عنه ने जो शहरे मदीना में कबीलए बनी ग़नम में थे सुन लिया और इरशादे नबवी की ता'मील में वहीं अपने मकान में दो जानू हो बैठे । उसकी बातो की लज्ज़त पे लाखो दुरूद🌺 उसके खु़त़बे की हैबत पे लाखो सलाम🌺 (सीरते रसूल अरबी /260 ब हवाला खसाईसे कुबरा ब रिवायत इब्ने सा'द व अबी नुए़म) आ गए लब्बैक या रसूलअल्लाह ﷺवाले www.islamicbatein786.blogspot.com

पानी की क्या कमी थी वो वक़्ते इम्तिहां था हो जाता चश्मा जारी कहते अगर ज़ुबा से"

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एक मर्तबा इमाम #हुसैन रज़ि खेलते -खेलते एक बाग मे चले गये ।सय्यदा #फातेमा ने नबी ए पाक से अारज़ू  की बाबा जान मैं परेशान हो गयी, हुसैन को देखते -देखते सुबह का गया है,दोपहर हो गयी अब तक लौटा नही। #अल्लाह के #नबी ने फरमाया, बेटी मे उसे ले आता हूँ।नबी ए पाक के साथ #फिज्जा और हजरत #अली भी गये। ढुंढते हुवे रास्ते मे एक बाग की तरफ रुख किया तो क्या देखा के तपती हुइ रेत पर हुसैन पाक आराम से सो रहे हैं। सरकार देख कर मुस्कुराये फिज्जा और जो लोग देख रहे थे, उन्होने कहा सरकार आप हुसैन को तपती हुइ रेत पर देखकर आप बेकरार नही होते और आप मुस्कुरा रहे हैं, तो नबी ए पाक ने फरमाया तुम देख रहे हो हुसैन तपती रेत पर सोया है और मैं देख रहा हूँ नीचे एक फरिश्ते का पर बिछा है और ऊपर एक फरिश्ते का सायबान है। मेरा हुसैन इस शान से सोया है । इतने मे ही इमाम हुसैन की आंख खुल गयी ।कहा नाना जान मुझे भुख लगी है, मुझे खाना चाहिए।आका ने कहा बेटे घर चलो तुम्हारी मां तुम्हें ढुंढ रही है। वहीं पर खाना खा लेना। हुसैन ने कहा नही नाना मुझे यहीं चाहिए। हुजूर ने कहा बेटा घर चल कर खा लेना। हुसैन ने कहा नहीं नाना यही खाऊगां।आप य...

Hazrat imam Husasin ‎(رضي الله تعالى عنه) ‏Ka Wo Muqadas Libas Mubarak Shahadat ke Wqat Pehna Hua Tha..

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Hazrat Imam Husasin (رضي الله تعالى عنه) blood-stained kurta (shirt) worn at Karbala, displayed in Topkapi Museum, Istanbul, Turkey 🇹🇷 😭💔 Hazrat imam Husasin (رضي الله تعالى عنه) Ka Wo Muqadas Libas Mubarak  Shahadat ke Wqat Pehna Hua Tha  Jo Aaj bhi Turkey ke Istanbul Shaher Ke Topkapi Museum Mein Mehfuz hai..!!! 🥺 www.islamicbatein786.blogspot.com

आला हजरत का तर्जुमानी कुरान कन्ज़ुल ईमान और अदब ए रसूल सल्लल्लाहु अलैह व सल्लम

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(आला हजरत का तर्जुमानी कुरान कन्ज़ुल ईमान और अदब ए रसूल सल्लल्लाहु अलैह व सल्लम )  यु तो कुरान के कयी मकामात ऐसे है जहा पर बङे बङे 100 दौ सौ साल मे जितने तर्जुमा हुवे उन तर्जुमा करने वालो मे अकसर अदब ए रिसालत कि राह से डगमगा गये  और सिर्फ अदब कि राह से नही डगमगाए बल्कि आयत के मकसद और ब्यान को भी नही अदा कर पाए और बेअदबी व गुस्ताखी की वादी मे पहुच गये  जबकी आला हजरत उस जगह पर भी अदब कि राह मे पहाङ तरह डटे हुवे नज़र आए देखिये इस आयत को 👇👇 وَ  وَجَدَکَ ضَآلًّا فَہَدٰی तर्जुमा आला हजरत का - और तुम्हे अपनी मोहब्बत मे खुद राफ्ता पाया तो अपनी तरफ राह दी ( सुरा वद्दुहा आयत नम्बर 7) ये जो आयत है इस आयत का तर्जुमा सौ सालो मे जितनो ने तर्जुमा किया  उन्होने यु किया  👇👇 और तुम्हे राहे हक से भटका हुवा पाया तो हिदायत दी  और तुम्हे राह भुला पाया तो हिदायत नही दी ?)  और तुम्हे रास्ते से नावाकिफ पाया तो राह दिखाई ( तकि उस्मानी )  और तुम्हे भटका हुवा पाया तो हिदायत दी  माज़ अल्लाह ,,हुजुर सल्लल्लाहु अलैह व सल्लम को भटका हुवा ,राह से भुला ,बेहिदायत ,गु...

नफ्स_परस्ती_का_इबरतनाक_अंजाम

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*#नफ्स_परस्ती_का_इबरतनाक_अंजाम*       (*#औरतों_और_मर्दों_के_लिए*) हज़रत सैय्यदुना अब्दुल्लाह बिन मुस्लिम बिन क़ुतैबह رحمتہ اللہ تعالٰی علیہ से मनक़ूल है कि:        "जब "अर्दशीर" नामी बादशाह ने अपनी हुकूमत को मुस्तहकम कर लिया तो छोटे छोटे बादशाहों ने उसके ताबे रहने का इक़रार कर लिया- अब उसकी नज़र सल्तनते "सुरयानियह" पर थी- ये बड़ा मुल्क था- चुनांचा "अर्दशीर" ने उस पर चढ़ाई कर दी- वहां का बादशाह एक बड़े शहर में क़िला बंद था- अर्दशीर ने शहर का मुहासिरा कर लिया लेकिन काफी अरसा गुज़रने के बाद भी शहर फतह ना हो सका- एक दिन बादशाह की बेटी क़िले की दीवार पर चढ़ी तो उसकी नज़र अर्दशीर पर पड़ी- उसकी मर्दाना वजाहत और खूबसूरती देखकर शहज़ादी नफ्सानी ख्वाहिश में मुब्तिला हो गई और एक तीर पर ये इबारत लिखकर तीर उसकी जानिब फेंक दिया:         "ऐ हसीनों जमील बादशाह! अगर तू मुझसे शादी करने का वादा करे तो मैं तुझे ऐसा खुफिया रास्ता बताऊंगी कि थोड़ी सी मशक़्क़त से ये शहर फतह कर लोगे-" बादशाह ने शहज़ादी की तहरीर पढ़कर ये जवाब भेजा:       ...

आशूरा_का_रौज़ा

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#आशूरा_का_रौज़ा... 🖊 फ़रमाने नबवी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम है की :- जिसने 10 मुहर्रमुल हराम (यानी आशूरा) का रौज़ा रखा तो उसके साबिक़ा (यानी पिछले) 1 साल के गुनाहो का कफ़्फ़ारा बन जायेगा.... 📝 : - आशुरा यानी 10 मुहर्रम का रोज़ा हमारे रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की सुन्नत है और हमारे नबीये करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने अपने उम्मतियों को 9 और 10 का रोज़ा रखने हुक़्म दिया है की तुम यहूदियों की मुख़ालिफत करो लिहाज़ा हमे 9 और 10 मुहर्रम या 10 और 11 मुहर्रम का रोज़ा रखना चाहिए और हमारे प्यारे नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की सुन्नत पर अमल करना चाहिए... अपील 🙏🏻  प्लीज़ अपने घरो की इज़्ज़त को किसी और के सामने सज-धज कर जाने न दे..कई बच्चियां बर्बाद हो चुकी है कई होने की कगार पर है..सख्ती से रोके और यज़ीदी वाले काम नहीं बल्कि हुसैनी काम करे....... 🖌📚 : - 【सही मुस्लिम,जिल्द-3,हदीस-2747/अहकाम ऐ शरीअत-मुफ़्ती मुहम्मद अकमल मदनी】

Colours Muharram Ke Mahine me Khas taur se Starting ke 10 Din tak Nahi pahanna Chahiye

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Explanation: Ye 3 Colours Muharram Ke Mahine me Khas taur se Starting ke 10 Din tak Nahi pahanna Chahiye 1 Muharram se 10 Muharram tak Zarur ye 3 Colour Ke kapde pahanne Se Bachna Chahiye. Yaha se Muraad Completely Full Black Ya Red Ya Green hai Jo Ke Mushabihat Unse Muhabbat unki Tarah Banne ke Niyyat se pahne Unke liye hai ye hukum. Ahlesunnat ke Nazdeek hai ye Hukum ! Jo Sunni hai wo Amal karne ki Koshish kare. 1st Black: Black kapde  Jo Ke khas taur se  Shia Rafzi Tabarrai Firqe Walau ka Tareeqa hai Jaise Wo Gham or Matam or Noha karte Waqt pahnate hai or Sahaba Ko Galiya dete hai Tabarra karte hai. 2nd RED: Red Jo ke Kharji Nasbi Yazidi Log pahnte hai MaazAllah Khushi Izhar karte hai , Imam Hussain Ki Shahadat par Khush hote hai ! Khushiya manate hai Ahlebaith Se Dushmani Zahir karne pahnte hai or Wo log khas taur se Full Red pahnte hai. 3rd Green: Green Colour Wo Log pahnte hai Jo Muharram me  Dhol Bajate Nachte hai Tamasha karte hai , Charas Ganja peete hai ! Angar...

शहंशाहे_कर्बला

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*#शहंशाहे_कर्बला* कायनात में अल्लाह को सबसे ज़्यादा महबूब नबी ए पाक ﷺ‌ की ज़ात बा बरकत है- और अल्लाह का महबूब होते हुए भी सरकारे पाक ﷺ‌ ने सबसे ज़्यादा तकालीफ बर्दाश्त कीं- खुद भी सब्र किया और अपनी आल को भी अपने नक़्शे क़दम पे चलने की नसीहत की- तो अल्लाह ने सब्र करने वालों और सब्र की तल्क़ीन करने वालों के लिए सूरह नाज़िल फरमा दी- मफ्हूम:        "ऐसे लोग हरगिज़ घाटे में नहीं हैं जो ईमान लाए और नेकी करें और सच्ची बात कहें और सब्र की तल्क़ीन करें-" इसी तरह सब्र करने और दुश्मनों को मुआफ करने की रिवायत आप ﷺ‌  और आपकी आल ने क़ायम रखी- تیغ لا چوں از میاں بیرون کشید  از رگ ارباب باطل خون کشید  نقش الااللہ بر صحرا نوشت سطر عنوان نجات مانوشت  अल्लामा इक़बाल फरमाते हैं कि:         "इमाम हुसैन رضی اللّٰہ تعالیٰ عنہ ने कर्बला के मैदान में "ला" की तलवार चलाई और सहरा ए कर्बला में  اِلااللہ का नक़्शा खींच कर हमारी निजात के लिए राह फराहम कर दी-" वासिफ अली वासिफ कहते हैं कि:        "ज़र्बे यदुल्लाह भी उसी के पास है जिसके...

Taazidari sunni Aur shiya ki Nazar me kya hai ? Shiya ka Aqida Taazidari ka matlab hai ke ?

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Manzar e Qarbala Toh is Duniya ko dikhana tha warna joh churi ⚔️ Hazrat ismail Alaihi salam par Na chal saki woh mere Nabi 🌹 ﷺ 🥀ke payare Nawaase imame Hussain par kaise chalti 😭 Aur sabr karne waalo ko shuruwat me Takhlif jarur hoti hai 😓💔😓 Lekin Aage ki Life Zindagi bohot shaandar hoti hai🤗🤗😍 Taazidari sunni Aur shiya ki Nazar me kya hai Hum sunniyu ki Nazar me Taaziya Yaani Ahle beth ka Roza mubarak ka mordel joh Hubahu Qarbala ke Roze se milta ho Shiya ka Aqida Taazidari ka matlab hai ke  Saheede Qarbala ka janaza banana Alam ke Naam par Phoolo ki murti Taazidari ke naam par mandir jaisa bana dena Aur jhula banana Aur use pure city me maatam karke janaaza Ghumana hai

पैराहन_ए_صلی_ﷲ_علیہ_وآلہ_وسلم

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*#पैराहन_ए_صلی_ﷲ_علیہ_وآلہ_وسلم* हज़रत यूसुफ़ علیہ السلام वाली ए मिस्र हैं- मुसीबतों और आज़माइश के ज़माने बीत चुके हैं सर पर ताजे शाही सजा पड़ा है- आप علیہ السلام की शानो शौकत,सखावत व मुहब्बत के चर्चे लोगों की ज़बानों पर जारी हैं- इधर अहले कनआन भी क़हत साली की लपेट में आते हैं तो आप علیہ السلام के भाई गल्ला लेने के लिए हाज़िरे दरबार होते हैं- जान पहचान के बाद आप علیہ السلام अपने करीमो शफीक़ वालिदे गिरामी का हाल पूछते हैं तो ब्रादरान अर्ज़ करते हैं कि:               "आपके गमे फुरक़त में रोते रोते उनकी आंखें सफेद हो गई हैं-" तो ताजदार हज़रत यूसुफ़ علیہ السلام ये जवाब सुनकर फरमाते हैं: اِذْهَبُوْا بِقَمِيْصِىْ هٰذَا فَاَلْقُوْهُ عَلٰى وَجْهِ اَبِىْ يَاْتِ بَصِيْرًاۚ وَاْتُوْنِىْ بِاَهْلِكُمْ اَجْمَعِيْنَ۔ "मेरा ये कुर्ता ले जाओ,इसे मेरे बाप के मुंह पर डालो उनकी आंखें खुल जाएंगी-" ( سورۃ یوسف،آیت: ٩٣ ) فَلَمَّآ اَنْ جَآءَ الْبَشِيْرُ اَلْقَاهُ عَلٰى وَجْهِهٖ فَارْتَدَّ بَصِيْرًا۔ "फिर जब खुशखबरी देने वाला आया उसने वो कुर्ता उसके मुंह पर डाल दिया तो बीना हो...

The footprint of holy prophet mohammad. (sallalahu ta'ala alaihi wasallam) at turkey museum

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Strange mysterious and unique is the sacred journey ,it begins with Ismail alaihissalam and ends upon hussains...

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ज़ाहिरन और बातिन मुहब्बत ।

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एक दफा मैं एक दोस्त के साथ चिड़ियाघर गया बंदर के पिंजरे में देखा कि वो अपनी बंदरिया से चिमटा मुहब्बत की आला तफ्सीर बना बैठा था- थोड़ा आगे जाकर शेर के पिंजरे के पास से गुज़र हुआ तो मुआमला उलट था, शेर अपनी शेरनी से मुंह दूसरी तरफ किए खामोश बैठा था- मैंने दोस्त से कहा कि: बंदर को अपनी मादा से कितना प्यार है और यहां कैसी सर्दमेहरी है?               दोस्त ने मुस्कुरा कर मेरी तरफ देखा और कहा: अपनी खाली बोतल शेरनी को मारो- मैंने बोतल फेंकी तो शेर उछल कर दरमियान में आ गया- शेरनी के बचाव में उसकी दहाड़ती आवाज़ किसी तफ्सीर की तालिब ना थी- मैंने एक बोतल जाकर बंदरिया को भी मारी ये देखने को कि बंदर का रद्दे अमल क्या होता है, बोतल अपनी तरफ आते देख कर बंदर अपनी मादा को छोड़ कर अपनी हिफाज़त के लिए उछल कर कोने में जा बैठा-                 मेरे दोस्त ने कहा कि: कुछ लोग शेर की तरह ही होते हैं,उनकी ज़ाहिरी हालत पर ना जाना, उनके प्यारों पर बन पड़े तो अपनी जान लड़ा दिया करते हैं,मगर उन पर आंच नहीं आने देते- और कुछ लोग जो ज़ाहिरन ...

(एक अदालती फेसला और कन्जुल ईमान तर्जुमानी कुरान आला हजरत )

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(एक अदालती फेसला और कन्जुल ईमान तर्जुमानी कुरान आला हजरत )  हुवा यु कि प्रोपर्टी डिलरो ने और मालदारो ने अपने माल के दम पर ज़मिन पर ज़मिन खरीदी और बङी बङी इमारते तामिर कि जिसकी बिना पर ज़मिन के रेट आसमान छुने लगे और आलम ये हो गया कि गरीबो या मिडियम क्लास के लोगो के लिये अपनी ज़मिन खरीदना सोच से भी बहार हो गया  इस हालत को देखते हुवे पाकिस्तान मुल्क ने एक या दौ ज़मिनो कि खरीदी के बाद कानूनन ज़मिनी खरीदी पर रोक लगानी चाही ताकी ज़मिन कि किल्लत खत्म हो और ज़मिन के भाव कम हो और हर गरीब को अपनी ज़मिन मिल सके  क्योकि इन्सानियत का तकाज़ा था कि सब इन्सान बराबर रहे और अमिर गरीब का फर्क मिटने लगे  लेकिन उस पास शुदा कानून को रद्द करने के लिये सरमाए दारो ने कोर्ट मे याचिका दायर कि ,,मसला ये खङा हुवा कि शरीयत कि निगाह मे ये कानून सही है या नही  मालदार के वकिल ने कुरान कि सुराह ज़ुखरुफ कि आयत नम्बर 32 का एक जुज़ पेश किया ये वाला 👇 وَ رَفَعۡنَا بَعۡضَہُمۡ فَوۡقَ بَعۡضٍ دَرَجٰتٍ لِّیَتَّخِذَ بَعۡضُہُمۡ بَعۡضًا سُخۡرِیًّا तर्जुमा -और एक दुसरे को बुलन्द किया है ताकी एक दुसरे को मात...

इस मुस्लिम खिलाड़ी की महानता की फैन है दुनिया

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  इस मुस्लिम खिलाड़ी की महानता कीइस मुस्लिम खिलाड़ी की महानता की फैन है दुनिया  फैन है दुनिया इस खिलाड़ी की महानता के आप भी हो जाएंगे फेन। एक बच्चा अपनी टीम के साथ तस्वीरें लेने के लिए स्टेडियम में घुस जाता है, इसलिए सुरक्षा हस्तक्षेप करती है और उसे न्यूजीलैंड के मुस्लिम खिलाड़ी सन्नी विलियम्स के सामने छोड़ देती है, जिसने उसे गले लगा लिया और गार्ड को उसे गिरफ्तार करने से रोक दिया, और पहले उसके साथ तस्वीरें लीं फिर उसे रनवे में उस बच्चे के परिवार के पास ले गए, फिर बच्चे को अपना गोल्ड मेडल गिफ्ट कर सबको चौंका दिया और कहा , यह उसकी गर्दन पर है जो मेरे से बेहतर दिखता है, मैं चाहता हूं कि यह दृश्य उनके दिमाग में जीवन भर बना रहे। सन्नी बिल विलियम्स को दुनिया के इतिहास में सबसे महान रग्बी खिलाड़ियों में से एक माना जाता है।  उन्होंने 2008 में इस्लाम कबूल कर सबको चौंका दिया था, उन्होंने कहा कि वह अपने न्यूनतम लाभ से संतुष्ट हैं और बाकी माल वह धर्म के कार्यों और अनाथों के संस्थानों पर खर्च करते हैं। दूसरे दिन न्यूजीलैंड के लोग इस खिलाड़ी द्वारा बनाए गए केंद्र से जुड़ी इस्लामिक किताबें...

muharram ul haram 1443

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HUZOOR Sallallahu alaihi wasallam ne HASAN AUR HUSSAIN Raziallahu tala anhuma ke liye farmaya : Jisne inse Mohabbat ki usse Main ne Mohabbat ki , aur jis se Main Mohabbat karo usse ALLAH TALA Mohabbat karta hai , aur jisko ALLAH TALA Mahboob rakhta hai use Nematou wali Jannatou me Dakhil farmata hai. (Al Moujamul Kabeer) Imam Hussain ibn Ali Radiallaho Anho ne Farmaya  “Badtareen Hakim Wo Hai Jo Taqatwar Muqabil Ke Samne Buzdil Sabit Ho Aur Kamzoron Aur Mazloomon Ke Same Jurrat Ka Muzahira Kare.” “Sufiya Riwayat Karte Hain Ke Imam Hussain Ne Farmaya Hai Ke: ‘Zaalimon Ke Saath (Beparwah Ho Kar) Zinda Rehna Khud Ek Jurm Hai’.  Hum Zulm Ko Apne Ird Gird Roz Dekhte Hain Lekin Kabhi Uske Khilaaf Awaaz Nahin Uthaate Aur Na Hi Uska Muqabla Karte Hain. Bohot Saare Qaum Ke Rehnuma Shehriyon Par, Shohar Apni Biwi Par, Bache Apne Maa Baap Par Aur Ameer Afraad Ghareebon Par Zulm Kar Rahe Hain Lekin Hum Dekh Kar Bhi Usei Undekha Kar Dete Hain. Hum Zulm Ke Khilaaf Usi Waqt Apni Awaaz Ko Bul...

आला हजरत का तर्जुमान ए कुरान कन्ज़ुल ईमान कि खुसुसियात

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(आला हजरत का तर्जुमान ए कुरान कन्ज़ुल ईमान कि खुसुसियात )  जैसा कि पिछली पोस्ट मे हमने बताया कि कुरान को दुसरी जुबानो मे ट्रान्सलेट ( तर्जुमा ) करने के दौ उसलुब यानी तरीके है  एक हर लफ्ज़ के निचे उसका तर्जुमा यानी मतलब लिख दिया जाता है ( इसके बारे मे हम पिछली पोस्ट मे लिख चुके है )  अब दुसरा तरीका ये होता है कि कुरान कि आयत को मुहावरो मे ट्रान्सलेट करना यानी लफ्ज़ो के तर्जुमे को आगे पिछे करके पुरा एक वाक्य बनाना  जैसे what is your name  तुम्हारा नाम क्या है ,, तो इस तरह का तर्जुमा तो सभी ने किया लेकिन  आला हजरत ने जो मुहावरी तर्जुमा किया है वो ऐसा कमाल का किया है जिसमे  लफ्ज़ी तर्जुमा भी आ जाता है पुरी इबारत का वाक्य भी समझ आ जाता है और फलसफा भी समझ आ जाता  दुसरो के तर्जुमे को समझने के लिये बङी तफसिर दरकार होती है लेकिन आला हजरत के तर्जुमे का आलम ये है कि खालिस तर्जुमे से ही रब्त हुस्न ब्यान हुक्म फलसफा जो़क अदब सबकुछ मिल जाता है आईये आपको एक आयत का खुबसुरत मन्ज़र बताऊ आयत ये है 👇👇  وَ اِذَا خَلَوۡا عَضُّوۡا عَلَیۡکُمُ  الۡاَنَامِلَ مِ...

27_जिल्ल_हिज्जा_यौमे_शहादत_फ़ारूक़_ऐ_आज़म

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#27_जिल्ल_हिज्जा_यौमे_शहादत_फ़ारूक़_ऐ_आज़म #शान__ऐ___उमर___इब्ने___खत्ताब !   सय्य्दना फरूक ऐ आज़म सहाबा में वो शान रखतें हैं !  फ़ारूक़ ऐ आज़म मुराद ऐ मुस्तफा हैं ! पूरी दुनिया सरकार ऐ दो आलम अलैहिस्सलाम को दुआओं में मांगती हैं पर अल्लाह के रसूल ने शबे जुमआ में रब से दुआ में सय्य्दना उमर ऐ फारूक ऐ आज़म को माँगा था ! उमर इब्ने खत्ताब को हुज़ूर अलैहिसलाम रब से कहतें या रब मक्के में दो उमर है एक उमर बिन शाम है एक उमर बिन खत्ताब है दोनों में से किसी एक को ईमान की दौलत अता फर्मा और उसके ज़रिये इज़्ज़त अता फर्मा और अल्लाह ने हज़रते उमर ऐ फ़ारूक़ को ईमान की इंसाफ की इज़्ज़त की दौलत अता की ! आपके इस्लाम कबूल करते ही मक्का में नारे तकबीर ऐसे बलन्द हुआ मक्के के दरो दिवार में फ़ज़ाओं में नारा गूंजा सय्य्दना अबू बक्र के बाद आप तख्ते खिलाफत पर आय और आपने 22 लाख 56 हज़ार मुरब्बा मील के हुदूद तक कायम क्र दिया सहाबा फरमातें हैं जबसे उमर इब्ने खत्ताब इसलाम कबूल किए हर रोज़ इसलाम उरूजियत पे जा रहा आपकी हुकूमत इंसानो पे नहीं बल्कि पहाड़ों पे हवाओं पे समंदर आग पे मिटटी पे सब पर थी ! हज़रत शाह वल्लीउल्लाह मुहद्दिसे देह...

हज़रत__उमर_رضي_الله_عنه‎ ‏की_बहादुरी

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#हज़रत__उमर_رضي_الله_عنه‎ की_बहादुरी ──────⊱◈◈◈⊰────── हजरत उमर رضي الله عنه‎ की बहादुरी से कौन नावाक़िफ होगा...!! ♡    सारी दुनिया उन की शुजाआत व दिलेरी का एतराफ़ करती है..!  शुरू इस्लाम में मुसलमान काबा के पास नमाज़ नहीं पढ़ सकते थे, लेकिन हज़रत उमर फारुक  رضي الله عنه‎ के इस्लाम लाते ही मुसलमान #ख़ान-ए-काबा में खुल्लम खुल्ला नमाज़ पढ़ने लगे ♡....!  हजरत #अली رضي الله عنه‎ फरमाते हैं के मेरे इल्म के मुताबिक हर एक ने हिजरत छुप कर की : लेकिन हज़रत उमर फारुक رضي الله عنه‎ ने #अलल एलान हिजरत की....! जब उन्होंने हिजरत का इरादा फरमाया, तो अपनी #तलवार गले में लटकाई और अपनी कमान कंधे पर डाली और बहुत सारे तीर हाथ में लेकर बैतुल्लाह (काबा शरीफ) के पास आए और इत्मेनान से तवाफ किया और फिर मकामे इब्राहीम के पास जा कर दो रकात नमाज़ पढ़ी,  फिर मुश्रिकीन की एक एक टोली में गए और फर्माया के जो यह चाहता हो के उस की माँ उस के मरने पर पाए और उसकी #औलाद  यतीम हो जाए और उस की बीवी बेवा हो जाए,  वह #मक्का ये बहार आकर मेरा मुकाबला करे...♡.. इस के बाद आप رضي الله عنه‎ ने ...

लड़की ने दिलचस्पी से कहा, "जरूर,

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लड़की ने दिलचस्पी से कहा, "जरूर,  एक फ्लाइट में पास बैठी बा-हिजाब लड़की से एक शख्स बोला, "आइए क्यों न कुछ बातचीत कर लें, सुना है इस तरह सफर आसानी से कट जाता है ..!!" लड़की ने किताब से नजर उठाकर उसकी तरफ देखा और कहा, "जरूर, मगर आप किस मौजू पर बात करना चाहेंगे ..!!" उस शख्स ने कहा, "हम बात कर सकते हैं कि इस्लाम औरतों को पर्दे में क्यों कैद करता है ..?" "या इस्लाम औरत को मर्द के बराबर विरासत का हकदार क्यों नहीं मानता ..?" लड़की ने दिलचस्पी से कहा, "जरूर, लेकिन पहले आप मेरे एक सवाल का जवाब दीजिए ..!!" उस शख्स ने पूछा, "क्या ..!!" लड़की ने कहा, "गाय, घोड़ा और बकरी एक सा चारा यानी घांस खाते हैं, लेकिन गाय गोबर करती है, घोड़ा लीद करता है और बकरी मेंगनी करती है, इसकी वजह क्या है ..??" वह शख्स इस सवाल से चकरा गया और चिढ़कर बोला, "मुझे इसका पता नहीं ..!!" इस पर लड़की बोली, "क्या आप समझते हैं कि आप खुदा के बनाए कानून, पर्दा, विरासत और हलाल व हराम पर बात करने के काबिल हैं, जबकि खबर आपको जानवरों की गिलाज़त की ...

एक_मच्छर_की_दुआ

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#एक_मच्छर_की_दुआ... नमरूद ने हज़रत इब्राहीम खलीलुल्लाह को आग में डालने के लिए जो आग जलवाई थी उसकी लपटें कई सौ फीट ऊपर तक जाती थी उसी आग की तपिश से एक मच्छर के पर व पैर जल गए,इस मच्छर ने रब की बारगाह में दुआ की तो मौला ने फरमाया कि ग़म ना कर मैं तेरे ज़रिये ही नमरूद को हलाक़ करवाऊंगा, ये मच्छर एक दिन नमरूद की नाक के ज़रिए उसके दिमाग में घुस गया और अंदर ही अंदर काटना शुरू किया,उस तक़लीफ से मौत हज़ार दर्जे बेहतर थी,जब वो काटता तो नमरूद अपने सर पर चप्पलों से मारा करता,दीवार में सर मारता हत्ता की इसी तरह तड़प-तड़प कर मर गया.....                      रब की हिकमत की एक बहुत नन्ही सी मिसाल है कि इतने ज़ालिम बादशाह जिसकी हिफाज़त में सैकड़ों सिपाही रहा करते थे उस को एक लँगड़े मच्छर के ज़रिए मौत अता फ़रमा कर उसने ये पैग़ाम दिया है कि हर ज़ालिम और नाफ़रमान को वक़्त पर ग़ुरूर नही करना चाहिए वरना जो रब रहीम है वो कह्हार भी है... 🖌📚 : - (तफसीरे नईमी,जिल्द 3,सफ़ा- 68/मलफूज़ाते निज़ामुद्दीन औलिया,सफ़ा- 16

पैगम्बर_मुहम्मदﷺ_ने_फरमाया

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#पैगम्बर_मुहम्मदﷺ_ने_फरमाया:- “मुसलमान, मुसलमान का भाई है, न उसपर जुल्म करे न उसे किसी जालिम के सुपुर्द करे और जो शख्स अपने किसी भाई की जरूरत पूरी करने में लगा होगा, अल्लाह उसकी जरूरत और हाजत पूरी करेगा।" 📓(सहीह बुखारी : 6951) ( लेकिन अफ़सोस कुछ भाई बहन इस बात को कहा समझते हैं आपस में लड़ते है और एक दुसरे के ऐब छुपाने की जगह उल्टा ऐब तलाश करते हैं कि अगर कभी मुझे कुछ कहेगा तो मैं भी कह दूँगा या दूँगी ये हाल है तो क्यों न परेशान रहेंगे हम ) अल्लाह तआला हम सबको कहने लिखने से ज़्यादा अमल करने की तौफ़ीक़ दे... आमीन www.islamicbatein786.blogspot.com

करामात-ए-मुफ्ती-ए-आज़म हिन्द।

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करामात-ए-मुफ्ती-ए-आज़म हिन्द। 👇 एक बार हुज़ूर मुफ्ती-ए-आज़म हिन्द फैज़ाबाद गए तब हज़रत मौलाना अब्दुल कय्यूम मुज़फ्फरपुरी अपने साथ आशिक अली नामी एक शख्स को लेकर आपके पास बैत के लिए आए, आपने उससे फरमाया "कहो की मैंने अपना हाथ गौस-ए-आज़म के हाथ में दिया" वो बोला मैंने अपना हाथ मुफ्ती-ए-आज़म के हाथ में दिया,आपने फिर से फरमाया कहो की मैंने अपना हाथ गौस-ए-आज़म के हाथ में दिया वो फिर बोला मैंने अपना हाथ मुफ्ती-ए-आज़म के हाथ में दिया अभी थोड़ी देर पहले आपने मुझे गुनाहों से तौबा करवाई है अब मैं झूठ कैसे बोल सकता हूँ, आपने उसे समझाया बैत का यही तारिका होता है तुम मुझसे बैत कर रहे हो तो सिलसिले से होकर ये गौस-ए-आज़म तक पुहँचता है, मगर वो नहीं माना? आप जलाल में आ गए और उसके सर पर अपना अमामा शरीफ़ डालकर उससे फरमाया, "तुम ये क्यों नहीं कह रहे हो"??? कहो की मैंने अपना हाथ गौस-ए-आज़म के हाथ में दिया, उसने फौरन कहा मैंने अपना हाथ गौस-ए-आज़म के हाथ में दिया, वो ये अल्फाज लागातार कहता रहा यहाँ तक की वो बेहोश हो गया, जब उसे होश आया तो मौलाना अब्दुल कय्यूम ने उसे कोने में ले जाकर पूछा ...

सदक़े_की_बरकत

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*#सदक़े_की_बरकत* ये 1282 हिजरी की बात है यानी आज से 160 साल पहले की सऊदी अरब के बुरैदा शहर में मुनीरा नामी एक नेक और सालेह खातून ने मरने से पहले अपने ज़ेवरात भाई के हवाले किए कि:         "मेरी वफात के बाद इन ज़ेवरात को बेचकर एक दुकान खरीद लें फिर उस दुकान को किराये पर चढ़ाएं और आमदनी को मुहताजों पर खर्च कर दें-" बहन की वफात के बाद भाई ने वसीयत पर अमल करते हुए उनके ज़ेवरात बेच कर बहन के नाम पर 12 रियाल में एक दुकान खरीद ली (उस ज़माने में 12 रियाल की बड़ी वैल्यू थी) और उसे किराये पर चढ़ा दिया और किराये की रक़म से मुहताजों के लिए खाने पीने की अशिया खरीद कर दी जाती रही ये सिलसिला पूरे 100 साल जारी रहा- 100 साल बाद दुकान की माहाना किराया 15 हज़ार रियाल तक पहुंच चुकी थी और उस रक़म से ज़रूरतमंदों के लिए अच्छी खासी चीज़ें खरीद कर दी जाती थीं- फिर वो दिन आया कि सऊदी हुकूमत ने बुरैदा की जामा मस्जिद में तौसीअ करने का फैसला किया और ये दुकान तौसीअ की ज़द में आ रही थी चुनांचा हुकूमत ने 5 लाख रियाल में ये दुकान खरीद ली- दुकान की देखभाल करने वाले अमानतदार शख्स ने उस बड़ी रक़म से एक ...