💗दुरुद__शरीफ💗
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##दुरुद__शरीफ 💗 दरूद शरीफ के अंदर एक पूरा निज़ाम पोशीदा है.... हम उसे "निज़ामे मुहब्बत" और "निज़ामे रहमत" कह सकते हैं... दरूद शरीफ पढ़ते ही ये पूरा निज़ाम हरकत में आ जाता है.... मुख्तसर तौर पर इसी निज़ाम को समझ लें... दरूद शरीफ पढ़ने वाले ने... अल्लाह तआला से मुहब्बत का सबूत दिया... क्यूंकि दरूद शरीफ पढ़ने का हुक्म अल्लाह तआला ने दिया है... ये हुई पहली मुहब्बत... दरूद शरीफ पढ़ने वाले ने हुज़ूर अक़दस ﷺ से मुहब्बत का एक हक़ अदा किया....ये मुहब्बत ईमान के लिए लाज़मी है... जब तक रसूलुल्लाह ﷺ की मुहब्बत... हमें हर चीज़ से बढ़ कर हासिल नहीं होगी..उस वक़्त तक हमारा ईमान कामिल नहीं हो सकता... ऐतबार वाला ईमान वही है जिसमें हुज़ूर अक़दस ﷺ से मुहब्बत... सबसे बढ़कर हो.. अपने वालिदैन अपनी औलाद... अपने माल और अपनी जान से भी बढ़कर.... इंसान को जब किसी चीज़ की सच्ची मुहब्बत होती है तो....वो उसका तज़्किरा ज़्यादा करता है... आप बाज़ार चले जाएं...हर तरफ माल,माल और माल की आवाज़ें सुनेंगे... हमें हुज़ूर अक़दस ﷺ की सोहबत हासिल नहीं हुई... मगर हम आप ﷺ की मुहब्बत तो पा सकते हैं...ये मुहब...