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Showing posts from June, 2021

मारने के बाद क्या होता है”❓

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⚰️ मारने के बाद क्या होता है”❓ 🌏 दुनिया और आख़िरत के बीच एक और आलम है जिसको बरज़ख कहते है। मारने के बाद और कयामत से पहले तमाम इंसानो और जिन्नों को अपने अपने मर्तबे के हिसाब से बरज़ख में रहना होता है ! और यह आलम दुनिया से बहुत बड़ा है ! दुनिया बरज़ख के मुकाबले में ऐसी है जैसे *माँ के पेट में बच्चा* ! बरज़ख में कोई आराम से तो कोई तकलीफ से !! 💎 मरने के बाद भी रूह का रिश्ता इंसान के बदन के साथ रहता हे। रुह अगरचे बदन से अलग हो गयी हो मगर बदन पर जो बीतेगी रूह को पता होगा और रूह पर उसका असर होगा ! जैसा की दुनिया में जब बदन का असर रूह पर होता है उसी तरह मरने के बाद उससे ज़्यादा होता है ! 👤इंसान जब अपनी दुनिया की ज़िन्दगी ठंडा पानी, हवा, नरम बिस्तर, और आराम देने वाली सवारियों को अपने इस्तमाल में लाता है इन चीज़ों का असर जिस्म में पड़ता है मगर आराम व राहत रूह को मिलती है ! ठीक उसी तरह इंसान गर्म पानी, गर्म हवा, सख्त बिस्तर, तकलीफ देने वाली सवारियों को अपने इस्तेमाल में लाता है तो उनकी सख्ती और गर्मी का असर जिस्म पर पड़ता है एमजीआर तकलीफ रूह को होती है ! ✨ मरने के बाद मुसलमान की रूहें अपने अपने दरज़ो के ह...

*सवाल (Sawal)*कूण्डे की फ़ातिहा के बारे में बताएं

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📄 *सवाल (Sawal)* कूण्डे की फ़ातिहा के बारे में बताएं 📄 *जवाब (Jawab)* *अब कूण्डे की फ़ातिहा और उस पर होने वाली गलतफहमीयों को जानते हैं* ▪️देखें कूण्डे की फ़ातिहा हज़रते इमामे जाफ़र सादिक़ رضي الله عنه के नाम से दिलाई जाती है, जिनके विसाल या शहादत की तारीख़ रज्जबुल मुरज्जब (रजब) की 15 तारीख़ को है इसलिए हमें रजब की 15 तारीख़ को फ़ातिहा या नियाज़ दिलाना चाहिए लेकिन अगर कोई रजब की 22 तारीख को फ़ातिहा दिलाता है तो भी हर्ज नहीं क्यूंकि फ़ातिहा के लिए कोई दिन तय नहीं, जब मयस्सर हो तब नियाज़ करवा सकते हैं, लेकिन 15 तारीख़ को कराना बेहतर है, ▪️नियाज़ या फ़ातिहा का मतलब होता है कि हमने जो भी नेक अमल, इंतेज़ाम, तिलावत, विर्द व वाज़ाएफ, किसी तबर्रुक का इंतेज़ाम किया उसे किसी बुजुर्ग, वली अल्लाह, मरहूम को भेजना, इसका मतलब ये नही होता कि हमने जो खाना या पकवान पकाया है उसे उन बुजुर्ग या मरहूम को खिला रहे हैं बल्कि इसको जब हम लोगों को या किसी गरीब को खिलाएंगे तो जो सवाब उससे मिलेगा उस सवाब को उनके नाम पर बख़्श रहे हैं, ▪️कोई भी नियाज़ अदब की चीज़ होती है लिहाज़ा उसके अदब के लिए कोई अच्छी सोच या काम किया जाए तो अच्छी बात ह...

Shaan-e-GOUS-E-AAZAM 🌷 Radiallaho Ta'ala Anho

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🌷 Shaan-e-GOUS-E-AAZAM 🌷            Radiallaho Ta'ala Anho >>> Aap ke Bachpan Sharif ki kuch Karamato me se kuch karamatein :- 1) Hazrat GOUS E AZAM Radiallaho Ta'ala Anho Abhi apni Walida(Maa) ke Pet me the aur Walida(Maa) ko jab cheenk aati aur is par jab woh 'Alhamdolillah' kehti GOUS E AZAM Radiallaho Ta'ala Anho Pet hi me jawaban 'Yarahmakuallah' kehte. Subhanallah, 2) Hazrat GOUS E AZAM Radiallaho Ta'ala Anho ek Ramzan-ul-Mubarak baroz Peer Subha sadiq ke waqt Duniya me jalwagar hue, us waqt Aap ke Honth Mubarak Aahista Aahista harkat kar rahe the aur ALLAH ALLAH ki Aawaz aa rahi thi. Subhanallah, 3) Jis din Hazrat GOUS E AZAM Radiallaho Ta'ala Anho ki wiladat hui us Din Aap ke diyare wiladat Jilan Sharif me Gyarahso(1100) bacche Paida hue woh sab ke sab ladke the, aur sab 'Waliallah' bane. Subhanallah, 4) Hazrat GOUS E AZAM Radiallaho Ta'ala Anho ne Paida hote hi Roza rakh liya aur jab suraj ghurub hua us waqt Maa ka Doo...

क़ुर्बानी के अहकाम व मसाइल_*

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*_✍🏻क़ुर्बानी के अहकाम व मसाइल_*       *_🏷️ पोस्ट नम्बर-::1⃣_* _⚜उमुरे इस्लाम मे कुछ फराईज़ व वाजिबात हैं जिनका बजा लाना लाज़िम व जरूरी है इन उमूर में से क़ुर्बानी भी है जो वाजिब है जिसके पास अय्यामें क़ुरबानी मे मिक़दारे निसाब माल हो ख्वाह वह माल रुपये व नक़दी सोना चाँदी या काश्त वगैराह की शक्ल में हो उन पर क़ुरबानी वाजिब है अल्लाह तआला ने नजदीक क़ुरबानी के दिनों में जानवर जा खून बहाने अमल बहुत ज्यादा महबुब व पसन्दीदा है बारगाहे खुदाबन्दी में अगरचे क़ुरबानी का गोश्त पोस्त नही पहुँचता मगर उस से बन्दे को जो तक्वा हासिल होता है वह तक्वा पहुँचता है बन्दे की यही सबसे बड़ी सआदत व फ़ीरोज़ बख्ती है कि उसका कोई नेक काम खुदा की बारगाह में पहुँचे और वह कुबूल हो जाए ।_ _📖हदीस में है ज़ैद बिन अकरम रज़ि अल्लाहु तआला अन्हु कहते हैं रसूलल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम से पूछा या रसूलल्लाह यह क़ुरबानियाँ किया हैं फामाया तुम्हारे बाप हज़रत इब्राहिम अलैहिस्सलाम की सुन्नत पूछा उसमें हमको क्या मिलेगा फरमाया उसके हर बाल के बराबर नेकी लोगो ने अर्ज़ किया और उनके बारे में क्या इरशाद फ़रमाया उसके भी हर बाल के...

खुद का शुद्धिकरण कीजिए।

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पड़े रहने से अच्छा है, पढ़ते लिखते रहना, अनपढ़ वह नहीं, जो पढ़ना नहीं चाहते, अनपढ़ वह है, जो सीखना नहीं चाहते, इसीलिए पड़े रहने से अच्छा है, पढ़ते लिखते रहना। जिंदगी आपकी है, नजरिया आपका है, आपका नजरिया ही आपको बनाता है असली चैंपियन। जीवन में कुछ करने का जुनून है, उस जुनून को बरकरार रखने के लिए, सबसे पहले आपको चेंज होना पड़ेगा। आपको वो चाहिए जो आज तक आपको नहीं मिला,  तो आपको वो काम भी करना पड़ेगा जो आज तक आपने नहीं किया। शुरुआत आप खुद से कीजिए। सबसे पहले खुद का शुद्धिकरण कीजिए।

यक़ीनन ख़िलाफ़त ज़रूर क़ायम होगी 🏴

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🏴 यक़ीनन ख़िलाफ़त ज़रूर क़ायम होगी 🏴 आ़लिमे 'मा कान व मा यकून्' आक़ा (ﷺ 💚) ने इरशाद फ़रमाया: "تَكُونُ النُّبُوَّةُ فِيكُمْ مَا شَاءَ اللهُ أَنْ تَكُونَ، ثُمَّ يَرْفَعُهَا إِذَا شَاءَ أَنْ يَرْفَعَهَا، ثُمَّ تَكُونُ خِلَافَةٌ عَلَى مِنْهَاجِ النُّبُوَّةِ، فَتَكُونُ مَا شَاءَ اللهُ أَنْ تَكُونَ، ثُمَّ يَرْفَعُهَا إِذَا شَاءَ اللهُ أَنْ يَرْفَعَهَا، ثُمَّ تَكُونُ مُلْكًا عَاضًّا، فَيَكُونُ مَا شَاءَ اللهُ أَنْ يَكُونَ، ثُمَّ يَرْفَعُهَا إِذَا شَاءَ أَنْ يَرْفَعَهَا، ثُمَّ تَكُونُ مُلْكًا جَبْرِيَّةً، فَتَكُونُ مَا شَاءَ اللهُ أَنْ تَكُونَ، ثُمَّ يَرْفَعُهَا إِذَا شَاءَ أَنْ يَرْفَعَهَا، ثُمَّ تَكُونُ خِلَافَةً عَلَى مِنْهَاجِ نُبُوَّةٍ"، ثُمَّ سَكَتَ." "तुम्हारे दरमियान नुबुव्वत बाक़ी रहेगी, जब तक अल्लाह चाहेगा, फिर उसे उठा लेगा, जब उठाना चाहेगा; फिर ख़िलाफ़ते राशिदह होगी, वो तब तक बाक़ी रहेगी जब तक अल्लाह चाहेगा, फिर उसे (भी) उठा लेगा, जब उठाना चाहेगा; फिर काट डालने वाली हुकूमत होगी, वो तब तक बाक़ी रहेगी जब तक अल्लाह चाहेगा, फिर उसे (भी) उठा लेगा, जब उठाना ...

❝ 𝗝𝗔𝗡𝗡𝗔𝗧 𝗞𝗜 𝗥𝗜𝗙𝗔𝗞𝗔𝗧 ❞

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❝ 𝗝𝗔𝗡𝗡𝗔𝗧  𝗞𝗜  𝗥𝗜𝗙𝗔𝗞𝗔𝗧 ❞ 🖍️ ℍ𝕒𝕕𝕖𝕖𝕤 : "𝐇𝐚𝐳𝐫𝐚𝐭 𝐑𝐚𝐛𝐢𝐚 (𝐑𝐚𝐝𝐢𝐀𝐥𝐥𝐚𝐡𝐮 𝐓𝐚'𝐚𝐥𝐚 𝐀𝐧𝐡𝐮) 𝐇𝐮𝐳𝐨𝐨𝐫 (𝐒𝐚𝐥𝐥𝐚𝐥𝐥𝐚𝐡𝐮 𝐓𝐚'𝐚𝐥𝐚 𝐀𝐥𝐚𝐢𝐡𝐞 𝐖𝐚𝐬𝐚𝐥𝐥𝐚𝐦) 𝐊𝐢 𝐊𝐡𝐢𝐝𝐦𝐚𝐭 𝐌𝐚𝐲 𝐑𝐚𝐚𝐭 𝐊𝐞 𝐖𝐚𝐪𝐭 𝐑𝐚𝐡𝐚 𝐊𝐚𝐫𝐭𝐞 𝐓𝐡𝐞, "𝐇𝐮𝐳𝐨𝐨𝐫 (𝐒𝐚𝐥𝐥𝐚𝐥𝐥𝐚𝐡𝐮 𝐓𝐚'𝐚𝐥𝐚 𝐀𝐥𝐚𝐢𝐡𝐞 𝐖𝐚𝐬𝐚𝐥𝐥𝐚𝐦) 𝐊𝐢 𝐊𝐡𝐢𝐝𝐦𝐚𝐭 𝐊𝐢𝐲𝐚 𝐊𝐚𝐫𝐭𝐞 𝐓𝐡𝐞, "𝐄𝐤 𝐑𝐚𝐚𝐭 𝐇𝐚𝐳𝐫𝐚𝐭 𝐑𝐚𝐛𝐢𝐚 (𝐑𝐚𝐝𝐢𝐀𝐥𝐥𝐚𝐡𝐮 𝐓𝐚'𝐚𝐥𝐚 𝐀𝐧𝐡𝐮) 𝐍𝐞 𝐇𝐮𝐳𝐨𝐨𝐫 𝐊𝐨 𝐖𝐚𝐳𝐮 𝐊𝐞 𝐥𝐢𝐲𝐞 𝐏𝐚𝐧𝐢 𝐇𝐚𝐚𝐳𝐢𝐫 𝐊𝐢𝐲𝐚 𝐓𝐨."𝐇𝐮𝐳𝐨𝐨𝐫 (𝐒𝐚𝐥𝐥𝐚𝐥𝐥𝐚𝐡𝐮 𝐓𝐚'𝐚𝐥𝐚 𝐀𝐥𝐚𝐢𝐡𝐞 𝐖𝐚𝐬𝐚𝐥𝐥𝐚𝐦) 𝐊𝐚 𝐃𝐚𝐫𝐢𝐲𝐚-𝐀-𝐊𝐚𝐫𝐚𝐦 𝐉𝐨𝐬𝐡 𝐌𝐚𝐲 𝐀𝐚𝐠𝐚𝐲𝐚 𝐇𝐚𝐳𝐫𝐚𝐭 𝐑𝐚𝐛𝐢𝐚 (𝐑𝐚𝐝𝐢𝐀𝐥𝐥𝐚𝐡𝐮 𝐓𝐚'𝐚𝐥𝐚 𝐀𝐧𝐡𝐮) 𝐒𝐞 𝐀𝐚𝐩𝐧𝐞 𝐅𝐚𝐫𝐦𝐚𝐲𝐚, 𝐌𝐚𝐚𝐧𝐠 𝐉𝐨 𝐌𝐚𝐚𝐧𝐠𝐧𝐚 𝐇𝐚𝐢𝐧, 𝐇𝐚𝐳𝐫𝐚𝐭 𝐑𝐚𝐛𝐢𝐚 𝐍𝐞 𝐉𝐨 𝐃𝐞𝐤𝐡𝐚 𝐊𝐢 𝐃𝐚𝐫𝐢𝐲𝐚-𝐀-𝐊𝐚𝐫𝐚𝐦 𝐉𝐨𝐬𝐡 𝐌𝐚𝐲 𝐇𝐚𝐢𝐧...

हिदायत. =: महान मंगोल शासक चंगेज़ खान का पोता शहज़ादा बरके_ख़ान

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#हिदायत  महान मंगोल शासक #चंगेज़_खान का पोता शहज़ादा #बरके_ख़ान एक दिन बाज़ार से गुज़र रहा था।  उसने देखा कि एक बुज़ुर्ग जिसकी दाढ़ी है वह सो रहा है और बराबर में एक कुत्ता भी सो रहा है  शहज़ादे ने सवारी से उतर कर शरारत की और बुज़ुर्ग के चेहरे पर अपना पैर रख कर खड़ा हो गया।  दाढ़ी देख कर हिकारत से बोला :-बता तू अच्छा या यह कुत्ता अच्छा"? बुज़ुर्ग ने बड़े तपाक से जवाब दिया कि अगर मेरी मौत ईमान पर हुई तो मै अच्छा; वर्ना यह कुत्ता अच्छा..! यह जवाब सुनकर शहज़ादे के साथ आये खड़े हुए लोगों में सुकूत तारी हो गया, बरके ख़ान के पैर में लरज़ा तारी हो गया। उसने पैर हटा लिया और बुज़ुर्ग को बा इज़्ज़त खड़ा करके पूछा, यह ईमान क्या चीज़ है ? बुज़ुर्ग ने कहा कि यह वह दौलत है जिसे न तुम्हारा दादा लूट सका और न यह तुम्हारे हाथ आएगी, चाहे तुम सौ साल हुकूमत कर लो। शहज़ादे ने कहा लेकिन मुझे वह चाहिये। बुज़ुर्ग ने कहा कि अभी आप इस ईमान की दौलत को नही संभाल सकते। शहज़ादे ने अपने हाथ से अंगूठी निकाल कर दी और बोला कि जब मै बादशाह बनूंगा तब आप यह अंगूठी लेकर मेरे पास आना। एैसा ही हुआ वो बुज़ुर्...

इस्लाम में बेवा औरतों की इज़्ज़त।

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जिन लोगों ने इस्लामी तारीख़ पढ़ी है वो हज़रत अस्मा-बिन्ते-उमेस को बहुत अच्छी तरह जानते हैं कि इनका निकाह हज़रत जाफ़र-बिन-अबू-तालिब से हुआ था, जंगे-मौता में जब हज़रत जाफ़र शहीद हो गए तो उन्हें हालात के रहमो-करम पर नहीं छोड़ दिया गया कि उम्र भर बैठी सोग ही मनाती रहें और अपनी ज़िन्दगी को हलकान करती रहें। ख़लीफ़ाए-हज़रत अबू-बक्र सिद्दीक़ (रज़ि०) आगे बढ़ते हैं और उस पाकबाज़ ख़ातून को बा-इज़्ज़त तरीक़े से निकाह का पैग़ाम पहुँचाते हैं, जिसे उतनी ही इज़्ज़त के साथ हज़रत अस्मा क़बूल कर लेती हैं। इस तरह हज़रत अस्मा को शौहर का और बच्चों को बाप का प्यार नसीब हो गया। फिर जब हज़रत अबू-बक्र सिद्दीक़ का भी इन्तिक़ाल हो गया तो हज़रत अस्मा ने उन्हें ख़ुद अपने हाथों से ग़ुस्ल दिया और सब्र का मुज़ाहिरा किया। हमारे समाज में तो दो बार की बेवा ख़ातून को इस क़द्र तानों का सामना करना पड़ता कि शायद वो ख़ुद ही ज़िन्दगी की जंग हार जाती,लेकिन इस बार शेरे-ख़ुदा हज़रत अली (रज़ि०), जो कि हज़रत जाफ़र के छोटे भाई भी होते हैं, सामने आते हैं और हज़रत अस्मा का हाथ थामते हैं और बच्चों को बाप की मुहब्बत से महरूम नहीं होने देते हैं।  ये है इस्लामी समाज जिसमें एक औ...

अपने_दिल_मे_नरमी_चाहते_है

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#अपने_दिल_मे_नरमी_चाहते_है ? अल्लाह के पैग़म्बर मुस्तफ़ा जाने रहमत ﷺ का फ़रमान हैं कि अगर तुम अपने दिल मे नरमी चाहते हो तो यतीम (जिसका बाप या मां-बाप दोनो नही हो) के सर पर हाथ फैरा करो... ✏ : यतीम की इस्लाम मे बेहद ख़ास रुतबा आया है...नबीये करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम यतीमों से बेहद मुहब्बत फ़रमाया करते थे...आपसे जो हो सकें यतीम की मदद ज़ुरूर करे...बहतरीन धरती पर घर वो हैं जिसमे यतीम भी हो और उसकी ताज़ीम भी हो... 🖌📚 (मुसनदे इमाम अहमद- हदीस,7522) ✍🏼

बियर का नशा

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(बियर का नशा )  कुछ जाहील लङके ये कहते हुवे मिलते है कि इस्लाम मे शराब हराम है क्योकि इसमे नशा होता है लेकिन बियर मे नशा नही होता ये फ्रुट कि बनती है उनका ये कहना दीन के एतबार से भी जहालत है और दुनियावी एतबार से भी जहालत  बियर और शराब मे ज्यादा फर्क नही है बस नशे के एतबार से कुछ पाईंट का फर्क है  दर असल इस्लाम उस मशरुब यानी उस शरबत को हराम कहा गया है जो खुम्र हो  और खुम्र कहते है अंगुर के उस कच्चे शियरा को जो सङ कर झाग छोङ दे  इसी तरह जो अंगुर का पका शियरा हो वो पक कर दौ तिहाई औट जाए वो भी खुम्र कि श्रेणी मे ही आता है लेकिन नाम उसका तला बज़ाक होता है  वो कच्चा पा‌नी जिसमे ताज़ा खजुरो को डाला जाए और वो सङ कर झाग छोङ दे और उसकी मिठास चली जाए वो भी खुम्र कि श्रेणी मे आता है अगरचे उसको कहते सुकर  जिस कच्चे पानी मे किशमिश को डाला गया हो और वो सङ कर झाग छोङ दे और उसकी मिठास चली जाए वो भी खुम्र कि श्रेणी मे आता है उसको कहते है नकीज़बिब  और बियर चाहे जौ कि बनी हुवी हो या किशमिश कि या किसी भी फ्रुट कि वो भी हराम ही है  और अंगुर कि हो तो कुरान कि नस्से...

Sallallahu Alaihi Wasallam

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Hazrat Sauban Radiallahu Anhu se riwayat he ke Huzoor Sallalaho Alayhi Wasallam ne irshad Farmaya: "Me Khtamun Nabiyyin hu. Mere bad koi Nabi nahi hoga" (Abu Dawood, Tirmizi, Mishkat Safa 465) Hazrat Abu Huraira Radiallahu anhu ne kaha ki Huzoor Sallalaho Alayhi Wasallam ne irshad Farmaya: "Rasoolo ka silsila muz par khatam kar diya gaya". (Bukhari, Muslim, Mishkat Safa 511) Hazrat Irbaz ibne Sariya Radiallahu anha se riwayat he. Huzoor Sallalaho Alayhi Wasallam ne irshad Farmaya, "Khuda ke nazdik us waqt khatmun Nabiyyin likha gaya jab ki hazrat Aadam Alayhissalam apni Gundi hui mitti me the. (Yani unka putla us waqt tak tayyar na hua tha) (Mishkat Safa 513) Hazrat Abu huraira radiallaho anhu se riwayat he ki Hazrat Muhammad Sallalahu Alayhi Wasallam ne irshad Farmaya, is darmiyan me so raha tha maine dekha ki Zamin ke khazano ki Kujiya layi gayi aur aur mere dono hatho me rakhi gayi. (Bukhari, Muslim, Mishkat Safa 512) Hazrat ibne Abbas Radiallahu anhu se riw...

पहले सूफ़ी

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पहले सूफ़ी लोगों के ज़ेहन में हमेशा ये सवाल रहा है कि पहले सूफ़ी कौन हैं? कोई हज़रत अबूज़र ग़फ़्फ़ारीؓ को मानते हैं, जिनके लिए सबसे पहले सूफ़ी लफ़्ज़ का इस्तेमाल हुआ। तो कोई हज़रत उवैस करनीؓ को, जिनका मुकाम सहाबियों पर भारी है। तो कोई हसन बसरीؓ को, जो चार पीर में से है। इसमें अलग अलग लोगों की अलग अलग राय है। इस बहस की वजह सिर्फ ‘सूफ़ी’ लफ़्ज़ ही है, क्योंकि ‘सूफ़ी’ लफ़्ज़ हुज़ूरﷺ  के वक़्त इस्तेमाल नहीं होता था, बल्कि बाद में होने लगा। (ज़्यादा मालूमात के लिए देखें सूफ़ीयाना.2 पेज23) सिर्फ़ रब के खास बंदों के लिए ही सूफ़ी लफ़्ज़ इस्तेमाल नहीं होता, बल्कि सूफ़ी होने के लिए खास सिफ़तें भी होना ज़रूरी है। तो पहले सूफ़ी की तहक़ीक़ के लिए भी हमें ये देखना होगा कि सबसे पहले वो सिफ़तें किनमें देखी गयी। सबसे पहले मख्दूम यहया मुनीरीؓ के क़ौल को देखते हैं। वो फ़रमाते हैं कि ‘‘इस कायनात में सबसे पहले सूफ़ी हज़रत आदमؑ हैं। क्योंकि सबसे पहली ख़ानक़ाह यानी काबा, आप ही ने बनाई। ख़िरका भी आप ही से मन्सूब है। आपका गोदड़ी (गुदड़ी) इस्तेमाल करना, आपके नक़्शेक़दम पर चलने वाले पैगम्बर हज़रत नूहؓ, हज़रत मूसाؓ व हज़रत ईसाؓ ने भी अप...

hira gava dya

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एक शख्स थे जिनको दीन का बहुत इल्म था  उनकी बाते आसानी लिये हुवे होती थी  लोग उनसे फेज़याब होते थे ,यानी नसिहत पकङते थे , उनसे मुतास्सिर होते थे  क्योकि वो बङी सादा व सिम्पल गुफ्तुगु मे दीन लोगो को समझाते थे  कमी ये थी कि वो किसी मदरसे से फारिग नही थे  कुछ कुछ गलतिया थी उनके अन्दर  कुरान कि आयतो कि तिलावत मे सही मखरज भी अदा नही होते थे उनसे  लेकिन लोगो मे उनकी मकबुलियत बढने लगी  लेकिन कमाल कि बात देखिये कुछ बासनद ,बङे बङे अलकाब लिये कुछ मौलवियो को हजम ना हुवा उनकी कुछ कमियो को दुर करने कि बजाए  उनके मखरज पर ताने देते ,,लोगो मे उनकी गलतिया ब्यान करते , यानी उस हिरे कि थोङी सी गर्दो गुबार को साफ करने कि बजाए उस पर और गर्द डालने कि कोशिश होती रही  अगर उस हिरे को सम्भाल लिया जाता तो वो कितनो को रोशन कर देता  लेकिन रद्द बाज़ लोगो ने उस हिरे को दफ्न कर दिया अब वो खामोश रहता है बस

Kin 5 mahino ka chand dekhna wajib e kifayah he.

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Kin 5 mahino ka chand dekhna wajib e kifayah he. الجواب بعون الملك الوهاب بسم الله الرحمن الرحيم الحمدلله والصلوة والسلام على رسول الله jin paanch maheeno ka chand dekhna vajib e kifayah hai vah yeh hain (1)shabaan,  (2)ramazaan,  (3) shawwal,  (4)zul qadah,  (5) zul hajjah, shaban ka is liye ke agar ramazan ka chand dekhte waqt abr ya ghubar ho to yeh tees poore kar ke ramazan shuroo karen, aur ramazan ka rozah rakhne ke liye, aur shawwal ka rozah khatm karne ke liye, aur zul qadah ka zul hajjah ke liye aur zulhajjah ka eid ke liye. ▪️(fatawa rizviyah mutarjam jild 10, page 367 to 371) ▪️(bahar e shariat part no (5)chand dekhne ka bayan) و الله تعالى اعلم بالصواب محمد اقبال رضا خان مصباحی

NAFS KYA HAI

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NAFS KYA HAI QUR'AAN-E-MAJEED Mein 3 Qism Ke NAFS Ka Tazkirah Aaya Hai.  1... Nafs-e-Ammarah.  2... Nafs-e-Lawwamah.  3... Nafs-e-Mutamaeenah. _NAFS-E-AMMARAH :  Woh Nafs Hai Jo Insaan Ko Buraiyon Par Amadah Aur Ubharta Hai, Iska Zikr Surah Yusuf Mein Kuch Is Tarah Hai._ اِنَّ النَّفۡسَ لَاَمَّارَةٌۢ بِالسُّوۡٓءِ۞   Tarjama E Kanz Ul Imaan :  Beshak Nafs Burai Ka Bada Hukm Dene Wala Hai.  ▪️القرآن - سورۃ نمبر 12 ورۃ يوسف آیت نمبر 53 پارہ : 13 رکوع : 1. _NAFS-E-LAWWAMAH : Woh Nafs Hai Jo Gunah Hone Par Bhi Insan Ko Malaamat Karta Hai, Aur Ita'at Ke Chhutne Par Bhi Malaamat Karta Hai Jis Ka Zikr Qur'aan Paak Mein Kuch Is Tarah Hai._ وَلَاۤ اُقۡسِمُ بِالنَّفۡسِ اللَّوَّامَةِؕ ۞ Tarjama E Kanz Ul Imaan : Aur Uss Jaan Ki Qasam Jo Apne Uper Malamat Karti Hai. ▪️القرآن - سورۃ نمبر 75 القيامة آیت نمبر 2 پاره : 29، رکوع : 17. ▪️SURAH QIYAMAH, AAYAT No.2. _NAFS-E-MUTMAEENAH : Woh Pakizah Nafs Hai Jise ALLAH Ke Wa'adon Par Yaqeen Hai, Use Qayaamat Ke Din Koi ...

‎#अख्लाक़े_मुस्तफा_ﷺ*हज़रते बिलाल ‎رضی اللّٰہ تعالیٰ عنہ ‏

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*#अख्लाक़े_मुस्तफा_ﷺ* हज़रते बिलाल رضی اللّٰہ تعالیٰ عنہ से एक दफा किसी ने पूछा कि:           "आपने पहली दफा हुज़ूर नबी ए करीम ﷺ को कैसे देखा?" बिलाल رضی اللّٰہ تعالیٰ عنہ फरमाते हैं कि:            "मैं मक्के के लोगों को बहुत ही कम जानता था- क्यूंकि गुलाम था और अरब में गुलामों से इन्सानियत सोज़ सुलूक आम था-उनकी इस्तिताअत से बढ़कर उनसे काम लिया जाता था तो मुझे कभी इतना वक़्त ही नहीं मिलता था कि बाहर निकल कर लोगों से मिलूं- लिहाज़ा मुझे हुज़ूर पाक या इस्लाम या इस तरह की किसी चीज़ का क़तई इल्म ना था- एक दफा क्या हुआ कि मुझे सख्त बुखार ने आ लिया- सख्त जाड़े का मौसम था और इंतिहाई ठंड और बुखार ने मुझे कमज़ोर करके रख दिया- लिहाज़ा मैंने लिहाफ ओढ़ा और लेट गया- इधर मेरा मालिक जो ये देखने आया कि मैं जौ पीस रहा हूं या नहीं..वो मुझे लिहाफ ओढ़ के लेटा देखकर आग बगूला हो गया- उसने लिहाफ उतारा और सज़ा के तौर पे मेरी क़मीज़ भी उतरवा दी और मुझे खुले सहन में दरवाज़े के पास बैठा दिया कि यहां बैठ के जौ पीस- अब सख्त सर्दी,ऊपर से बुखार और इतनी मशक़्क़त वा...

🏺मक्खी अगर पानी या दूध में गिर जाए🐜🥛🥣🧉

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🏺मक्खी अगर पानी या दूध में गिर जाए🐜🥛🥣🧉 🥀हजरत अबू हुरैरा रदियल्लाहु तआला अन्हु से रिवायत है कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि जब तुम्हारे बरतन में मक्खी गिर पड़े तो पूरी मक्खी को बरतन में डुबो दो। फिर उसको निकाल कर फेंक दो। क्योंकि उसके एक पर में शिफा और दूसरे में बीमारी है।  *📄नुस्खा:-* शिफा खाना-ए-रिसालत की तशखीस और इलाज का नुस्खा है कि मक्खी के एक पर में बीमारी और दूसरे में उसकी शिफा है। और मक्खी की यह आदत है कि वह जब खाने पीने की चीजों में गिरती है तो बीमारी वाला पर गिराती है इस लिए हुजूरे अकरम सल्लल्लाहु तआला.अलैहि वसल्लम ने यह हुक्म फरमाया कि जब मक्खी बरतन में गिर पड़े तो मक्खी को बरतन में डुबो कर फेंक दो। ताकि बीमारी वाले पर के साथ उसकी गिफा वाला पर भी बरतन में पहुँच जाये। और बीमारी का इलाज होकर शिफा हासिल हो जाये। 📜इस हदीस से यह भी मालूम हुआ कि जिन जानवरों में बहता हुआ खून नहीं होता जैसे मक्खी, भिड़, बिच्छू अगर यह पानी में मर जायें तो इससे पानी नजिस नहीं होता। क्योंकि हुज़र सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने मक्खी को बरतन में डुबो देने का हुक्म फरम...

वो_आठ_मुसीबतें_जो_इंसान_की_ज़िंदगी

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*#वो_आठ_मुसीबतें_जो_इंसान_की_ज़िंदगी*                     *#बर्बाद_कर_देती_हैं* कोई बंदा जब अल्लाह तआला से ग़ाफिल होता है...या कोई गुनाह करता है तो उस पर बहुत सी मुसीबतें आती हैं... मगर इन मुसीबतों में से "आठ" बहुत ख़तरनाक हैं... ये आठ मुसीबतें इंसान की ज़िंदगी बर्बाद कर देती हैं.. और उसकी आखिरत को भी खतरे में डाल देती हैं... इसलिए हमें सिखाया गया है कि:            "हर दिन सुबह ओ शाम इन आठ मुसीबतों से बचने की दुआ मांगा करें-" अजीब बात ये है कि.....            शैतान इन आठ मुसीबतों के तीर हर सुबह और हर शाम हम पर छोड़ता है... पस जो इंसान सुबह शाम अल्लाह तआला की पनाह में आ जाता है..वो बच जाता है- और जो ये पनाह नहीं पकड़ता वो इन तीरों में से किसी एक या ज़्यादा तीरों का शिकार हो जाता है-          वो आठ मुसीबतें ये हैं:                                      (1) *’’اَلْ...

1500_साल_पुराना ‎

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यह पेड़ #1500_साल_पुराना है...  जैसा कि बोर्ड पर लिखा हुआ है यह वह मुबारक पेड़ है जिसके साये मे #हज़रत_मोहम्मदﷺ  ने "पनाह" ली ओर #आराम_मुबारक किया था..इसका साया #ठंडा है ओर इसकी #हवाएँ सिर्फ #पेड़_के_फ़ासले तक ही महदूद है..❤

The Lineage Of Prophet Ibrahim Alaihissalam

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The Lineage Of Prophet Ibrahim Alaihissalam  Our Beloved Messenger of Allah ﷺ said :  “From all the children of Ibrahim it is I who resembles him the most “ [ Bukhari ] Our Beloved Prophet ﷺ is from the Progeny of Prophet Ibraham as a result of his prayer which he made to Allah from Maqam E Ibrahim After Prophet Ibrahim, his son Ismail, had twelve sons. It was clear that his son Nabit was different from the others. The same kind of particularity could be seen in his son Yashjub, and this line of distinction passed down with Yarub, Tayrah, Muqawwim, Udad and Adnan. It was clear that this line had a special nobleness and a particularity that could carry the weight of Prophethood. The same special character of the Prophet’s forefathers to the twentieth degree could be well observed, after Adnan, Maad, Nizar, Mudar, Malik, Fihr, Ghalib, Luayy, Ka’b, Murra, Kilab, Qusayy (Zayd), Abdimanaf (Mughira), Hashim (Amr) and Abdul Muttalib (Shayba), and a light that was the indication of th...

सफ़र_बहुत_छोटा_है

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*#सफ़र_बहुत_छोटा_है...* एक बुज़ुर्ग औरत बस में सफ़र कर रही थी... अगले पड़ाव पर, एक मज़बूत, ग़ुस्सैल लड़की चढ़ गई और बुज़ुर्ग औरत के बगल में बैठ गई... उस ग़ुस्सैल लड़की ने अपने  बैग से कई बार बुज़ुर्ग औरत को चोट पहुंचाई...। जब उसने देखा कि बुज़ुर्ग औरत चुप है, तो आख़िरकार लड़की ने उनसे पूछा कि:          "जब उसने उसे अपने बैग से मारा तो उन्होंने शिकायत क्यों नहीं की...?" बुज़ुर्ग औरत ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया:          "इतनी मामूली बात पर चर्चा करने की कोई ज़रूरत नहीं है, क्योंकि आपके बगल में मेरा सफ़र बहुत छोटा है, मैं अगले पड़ाव पर उतरने जा रही हूं...।" यह जवाब सुनहरे लफ्ज़ों में लिखे जाने लायक है:        "इतनी मामूली बात पर चर्चा करने की कोई ज़रूरत नहीं है, क्योंकि हमारा सफ़र एक-साथ बहुत छोटा है...।" हम में से हर एक को यह समझना चाहिए कि इस दुनिया में हमारा वक़्त इतना कम है कि इसे बेकार तर्कों, जलन, दुश्मनी, दूसरों को मुआफ़ ना करना, हसद रखना और बुरे बर्ताव वगैरह में खर्च करना... ये सब बेकार में बर्बादी है अपनी ज...

Mardo Ko Choti Rakhne Ka Sharai Hukm

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Mardo Ko Choti Rakhne Ka Sharai Hukm SUWAL السَّـــــــلاَمُ عَلَيــْــكُم وَرَحْمَةُ اللهِ وَبَرَكـَـاتُه Kiya Farmate Hai Ulama e Deen Is Mas'ale Mai Ke Mardo Ko Aurato Ki Tarah Choti Rakhna Ya Lambe Baal Rakhna Jayaz Hai? Quran o Hadis Ki Roshni Mai Jawab Inayat Farmaye Maharbani Hogi. JAWAB وَعَلَيْكُم السَّلَام وَرَحْمَةُ اَللهِ وَبَرَكاتُهُ‎ بسم الله الرحمن الرحيم الحمدلله والصلوة والسلام على رسول الله ﷺ Mard Ka Kano Ki Law Tak Baal Ka Rakhna Sunnat Hai, Aur Mard Ka Baal Itna Badhana ki Kandhe (Sholder) Se Neeche Jaye Ye Haram Hai, Phir Chahe Isme Choti Bandhe Ya Na Bandhe Aur Mard Ko Choti Bandhna Haram Hai. Imam Ahmad Raza Khan Alaihirrahma Tahreer Farmate Hai Ke Mard Ke Sar Par Choti Rakhna Waise Hi Haram Hai ▪️(Fatawa Razawiya Jild-21, P-134) ▪️Durr e Mukhtaar Mai Hai Ke;  غزل الرجل علی ھیأۃ غزل المرأۃ یکرہ Aurat Ke Andaaz Se Mard Ka Apne Baal Goondhna (Choti) Na Pasand Hai لما فیہ من التشبہ بالنساء Isilye Ke Isme Auraton Se Mushabihat Hai. ▪️(Jild-2, P-253) Hadis e Paak ...

इबादत किसलिए करें

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हज़रत राबिया बसरी रहमतुल्लाहि अलैहा और हसन बसरी रहमतुल्लाहि अलैह हम'असर थे मगर आप दोनों के तरीके में फर्क था। हसन बासरी खौ़फे ख़ुदा जबकि राबिया बसरी इश्क़े इलाही कि कायल थी। हज़रत हसन बसरी रहमतुल्लाहि अलैह ने इक दफा इक नमाजे जनाजा पढ़ाई। जब लोग दफन करके कब्र दुरुस्त कर चुके तो आप उस क़ब्र के नज़दीक बैठकर बहुत रोए फिर आपने हाज़रीन से फरमाया ऐ लोगो सुनो दुनिया की आखिर क़ब्र है और आखिरत की अव्वल क़ब्र है फिर तुम ऐसे आलम से क्यूं नहीं डरते जबकि तुम्हारा अव्वल आखिर यही है। ऐ गा़फिलो अव्वल वा आखिर को दुरुस्त कर लो। ये वाज़ सुनकर सभी हाजरीन रोने लगे।।           एक बार लोगो ने देखा कि राबिया बसरी रहमतुल्लाहि अलैहा जज़्ब की हालत में एक हाथ में मश'अल और इक हाथ में पानी लिए जा रही थी। लोगो ने पूछा कि आप क्या करने जा रही है  राबिया बसरी ने फरमाया मश'अल से जन्नत को जलाने और पानी से दोज़ख़ की आग को बुझाने जा रही हूं। ताकि लोग उस खालिके हकीकी की इबादत जन्नत की लालच या जहन्नम के खौफ से न करे बल्कि लोगो का मसकद ए इबादत सिर्फ अल्लाह का इश्क़ बन जाए ।।

मुरीद होने का फायदा_____

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मुरीद होने का फायदा_____ हज़रत ख्वाजा मोइनुद्दीन अजमेरी रहमतुल्लाह अलयह की आदते मुबारका थी कि आप हमसाये के हर जनाज़ा मे पहुंचते थे_______ अक्सर अवकात मय्यत के साथ कब्र पर भी तशरीफ ले जाते और तदफीन के बाद जब सब लोग चले जाते तो फिर भी कुछ वक्त के लिए आप रहमतुल्लाह अलयह कब्र पर बैठे रहते___ एक दिन हज़रत ख्वाजा उस्मान हारूनी रहमतुल्लाह अलयह का एक मुरीद फौत हो गया___ हज़रत ख्वाजा गरीब नवाज़ रहमतुल्लाह अलयह नमाज़े जनाज़ा के बाद हस्बे आदत उसकी कब्र पर बैठे रहे और मुराकबा फरमाया___ हज़रत ख्वाजा कुत्बुद्दीन बख्तियार काकी रहमतुल्लाह अलयह भी साथ मे थे___ अचानक हज़रत ख्वाजा गरीब नवाज़ रहमतुल्लाह अलयह दहशत के आलम मे अपनी जगह से गभरा कर उठे और आपके चेहरे का रंग भी बदल गया____ कुछ वक्त के बाद आपकी तबीयत बहाल हुई तो आपने फरमाया____ *बयअत भी अजीब चीज़ है* हज़रत ख्वाजा कुत्बुद्दीन बख्तियार काकी ने अर्ज़ किया कि___ मेने अजीब कैफ़ियत देखी है पहेले आपका रंग बदल गया था और फिर कुछ वक्त के बाद बहाल हो गया था उसकी क्या वजह थी___?? फरमाया____ जब लोग इस मैयत को दफन करके चले गए तो इसे अज़ाब देने के लिए दो फ़रिश्त...

सरकारे मदीनाﷺ ‏का चेहरए अन्वर..

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सरकारे मदीनाﷺ का चेहरए अन्वर जमाले इलाही का आईना, निहायत ही खूबसूरत, पुर गोश्त और किसी कदर गोलाई में था हज़रते सय्यिदुना जाबिर बिन समुरह رضي الله عنه फरमाते हैं कि मैं ने अल्लाह पाक के प्यारे हबीबﷺ को एक मरतबा चांदनी रात में देखा, में एक मरतबा चांद की तरफ देखता ओर एक मरतबा आपﷺ के चेहरए अन्वर को देखता तो आप का चेहरा चांद से भी ज़ियादा खूब सूरत नज़र आता (¹) खसाइसे कुब्रा में लिखा है के,,, हमारे आकाﷺ हज़रते यूसुफ عليه السلام से भी ज़्यादा हसीन थे। चुनान्चे, मरवी है कि हज़रते सय्यिदुना यूसुफ عليه السلام तमाम नबियों ओर रसूलो बल्कि तमाम मखलूक से ज़्यादा हसीन थे मगर हमारे आका प्यारे मुस्तफा करीमﷺ को अल्लाह पाक ने जो हुस्न अता फरमाया वोह किसी और को अता न हुवा । इस के इलावा हज़रते सय्यिदुना यूसुफ عليه السلام को हुस्नो जमाल का एक हिस्सा मिला था मगर आपﷺ को हुस्ने कुल अता हुवा (²) चांद से मुंह पे ताबां दरखशा दुरूद नमक आगीं सबाहत पे लाखो सलाम मुश्किल अल्फ़ाज़ के माने चांद से: चांद जेसे तांबा:    चमकदार दरख्शां:  रोशन नमक आगीं: नमक भर सबाहत:    गोरापन  तशरीह: सरवरे दो जह...

Leucorrhoea ki marz mein mubtala aurat ke wudu o namaz ka huqm

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Leucorrhoea ki marz mein mubtala aurat ke wudu o namaz ka huqm Sawal:  السلام علیکم و رحمت اللہ  Ulema e kiraam ki khidmat mein aik mas'ala paish e khidmat hai ke kya leucorrhoea ke marz mein aurtain har namaz ke liye naya wuzu kareingi?  Rahnumai farmayein.  Al Jawab:  وعلیکم السلام و رحمت اللہ و برکاتہ  soorat mustafsira mein mere imam Raddul Muhtaar ke hawalay se farmatay hain:  في ردالمحتار لو عرض بعد دخول وقت فرض انتظر إلي آخره فان لم ينقطع يتوضأ و يصلي ثم ان انقطع في إثناء الوقت الثاني يعيد تلك الصلوة وان استوعب الوقت الثاني لا يعيد لثبوت العذر حينئذ من وقت العروض اھ بركوية و نحوه في الزيلعي و الظهيرة الخ و باقي المسائل معروفة متونا و شروحا و الله سبحانه وتعالى أعلم، ▪️Raddul Muhtaar mein hain: agar farz namaz ka waqt daakhil honay ke baad uzr paish aaya to aakhir waqt taq intezaar kere agar munqata (band) na ho to wudu karkay namaz parh le phir agar dosray waqt mein khatam ho jaye (discharge aana band ho jaye) to uss ( pehli ) namaz ko lout’tay ...

Dukhti ankh se ansu nikle to wuzu ka kya hukm hoga

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Dukhti ankh se ansu nikle to wuzu ka kya hukm hoga_ السَّلاَمُ عَلَيْكُمْ وَرَحْمَةُ اللهِ وَبَرَكَاتُهُ  Dukhti hui ankh se agar ansu nikle to kya wuzu tut jaega baz log kehte hai k dukhti hui ankh se jo pani ansu niklta hai vo napak hota hai to kya yah sahi h or agar koi namaz me roe or ansu nikal jae to kya hukm hai  وعليكم السلام ورحمة الله وبركاته Al Jawab Surat mustafsir mai arz hai k dukhti hui ankh se ansu ka nikalna or rone k wakht ka nikalna dono ka hukm alag alag hai_ ▪️Jaisa k Qanune shariat hissa awwal me he ki:  "Dukhti hui ankh se jo pani ya kichad behta h, issewuzu tut jata hai_aur vo najis bhi hai_jis jagah lag jae iska paak krna zaruri hai_ Aur jo ansu rone me nikalte h, na inse wuzu tute na najis_" واللہ اعلم ورسولہ بالصواب Az-qalam Hazrat allama mufti Muhammad zafar ali siddiqi radawi sahab kibla

💠शौहर के हुकुक़...

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💠शौहर के हुकुक़...  - ❤हदीस : हजरत अब्दुल्लाह बिन अब्बास (रजी अल्लाहु तआला अन्हु)  से रिवायत है की,  हुजुर (सलल्लाहु अलैही वसल्लम)  ने इरशाद फरमाय :- - "मुझे दोजख दिखाई गई मैने वहां औरतो को ज्यादा पाया वजह यह है के वह कुफ्र करती है!" सहाबा किराम ने अर्ज किया  "क्या वह अल्लाह के साथ कुफ्र करती है?" इरशाद फरमाया "नही वह शौहर की नाशुक्री करती है! (जो एक तरह का कुफ्र है) और एहसान नहीं मानती, अगर तुम किसी औरत से उम्र भर एहसान और नेकी का सुलुक करो लेकीन एक बात भी खिलाफे तबीयत हो जाए तो झट कह देंगी मैने तुझ से कभी आराम और सुकुन नही पाया!" 📚(बुखारी शरीफ जिल्द १ बाब नं २१, हदीस नं २८ सफा नं १०९) - ❤हदीस :हजरत उमर फारुख (रजी  अल्लाहु तआला अन्हु)  से रिवायत है की हुजुर (सलल्लाहु अलैही वसल्लम)  ने इरशाद फरमाया.. - "क्या तुमको नही मालुम की औरत के लिये शिर्क के बाद सब से बडा गुनाह शौहर की ना-फरमानी है!" 📚(गुनीयातुत्तालेबीन बाब नं ५, सफ नं ११४) - ❤हदीस : हजरत अबु हुरैरा (रजी अल्लाहु तआला अन्हु)  से रिवायत है के हुजुर (सलल्लाहु अलैही वसल्लम)  ने इरशा...

Hazrat Jibraeel ‎علیہ السلام ‏kis sahabi ki shakal mein Huzoor ‎صلی اللہ علیہ و سلم ‏ke pass tashrif laaye

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Hazrat Jibraeel علیہ السلام kis sahabi ki shakal mein Huzoor صلی اللہ علیہ و سلم ke pass tashrif laaye Sawaal السلام علیکم و رحمت اللہ Ulema e kiram ki khidmate aala mein ek sawaal peshe khidmat he ki: Iss talluq se koi hadish ho ki Hazrat Jibraeel alaihissalam Huzoor صلی اللہ علیہ و سلم ki khidmat mein kabhi insani shakal mein aate aur kabhi asal shakal mein hajire khidmat hote to irsal farma dein. Al-jawaab: وَعَلَيْكُم السَّلَام وَرَحْمَةُ اَللهِ وَبَرَكاتُهُ‎ بسم الله الرحمن الرحيم الحمدلله والصلوة والسلام على رسول الله ﷺ Aap ka puraa naam Dihya ibne Khalifa bin Farwah bin Fazalah al Kalbi al Qazai Radiyallahu anhu he. Aap radiyallahu anhu Rasool e maqbool صلی اللہ علیہ و سلم ke safir bhi bane, Rasoolallah صلی اللہ علیہ و سلم  ne Harqul shah e Rome ko jo khat likha wo aap ke hawale kiya ki aap ise sarbarah bashari ke hawaale kar dein aur ise Harqul tak pahuncha dein. (Rahiqul Makhtum) Sayyedina Dihyaa ke baare mein aata he ki aap Madina ke hasin o jamil aur khubsurat logo mein ...

ईसा अलैहिस्सलाम से 700 साल पहले इटली का एक शहर हुआ करता पोम्पेई (#Pompeii) ......

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islamicbatein ईसा अलैहिस्सलाम से 700 साल पहले इटली का एक शहर हुआ करता पोम्पेई (#Pompeii) ...... जिसका ज़िक्र तारीख में तो मिलता था लेकिन यह शहर अपने पूरे वज़ूद के साथ कहीं ग़ायब हो गया था । एक दिन एक किसान ने बीहड़ इलाके में कुआँ खोदने का अज़्म किया और  काफी गहराई तक खोदने के बाद उसको पानी तो नहीं मिला लेकिन उसकी इस कोशिश की बदौलत पुरातत्व विभाग वालों ने   वह शहर pompeii  पा लिया  जिसकी हर किसी को सालों तक तलाश थी । एक ऐसा सामान्य  शहर  जिसने हैरतअंगेज तेज़ी से तरक्की की थी ,  और एक वक़्त वह दुनिया के सबसे बड़े तिजारती मरकज़ में एक बन चुका था  और अचानक गायब हो गया । 20 हज़ार की आबादी वाले इस शहर  के खंडहरों  से ऐसी इबरत्नाक दास्तान सामने आई कि दुनिया हैरान रह गयी । घरों की दीवारों पर बनी  फ़हश पेंटिंग्स और लिपि को समझ कर यकीन दहानी तक अंदाज़ा लगाया गया  कि इस शहर का हर घर एक वैश्यालय था  शायद यह दुनिया का पहला  प्रोफेशनल  हब ऑफ लस्ट था ...... पेंटिंग्स और इबारतों और पत्थरनुमा लाशों  को समझ कर इस शहर की गैर इंसानी ऐ...

Ilme Gaib e Mustafa ‎ﷺ ‏

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🔳 Ilme Gaib e Mustafa ﷺ 🔳 Har daur me Ahle Haq Ka ye Aqeeda raha hai ki Allah Ta'ala ne Apne Mahboob Hazrat Muhammed Mustafa ﷺ  ko Gaib-da banaya aur Aap ﷺ  Dhaki , Chhupi , Guzri aur aayenda qayamat tak hone wali har baat ko Jaante Hai  ✔ Hadees No. 1 Hazrate Umar رضي الله عنه se riwayat hai ki Nabi E Kareem ﷺ  ek roz hamare darmiyan khade hue to Aap ﷺ  ne makhluq ki paidaish ka ibteda se zikr farmana shuru kiya yahan tak ki Jannati Apne maqaam par pahoch gaye aur dozakhi apne maqaam par ise yaad rakha jisne yaad rakha aur bhool gaya jisne bhool gaya 📕 Bukhari Jild 1 safa 354 📘 Muslim Jild 2 safa 390 Haashiye mein hai " Imaam taibi ne farmaya ki is hadees se zaahir hai ki saari makhluq  ke saare haalat Huzoor ﷺ  ne Sahaba ko bata diye  🌴 Jo Ho Chuka Hai Jo Hoga Huzoor Jaante Hai  Teri Ataa Se Khudaya Huzoor Jaante Hai 🌴 🔳 Ilme Gaib e Mustafa ﷺ 🔳 ✔ Hadees No.2  Hazrate Anas Ibne Malik رضي الله عنه se marvi hai ki Rasoolullah ﷺ...

दुआ

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*#दुआ एक शख्स आक़ा करीम ﷺ के पास आया और उसने कहा:          "या रसूलल्लाह ﷺ! जब मैं अपने रब से दुआ करूं तो क्या कहा करूं?" नबी ए अकरम ﷺ ने फ़रमाया कहो: اَللّٰہُمَّ اغْفِرْلِی وَارْحَمْنِیْ وَ عَافِنِیْ وَارْزُقْنِی۔  अल्लाहुम्मग़फिरली वरहमनी व आफानी वरज़ुक़नी ऐ अल्लाह मुझे मुआफ फरमा, मुझ पर रहम फरमा, मुझे आफियत दे और मुझे रिज़्क़ अता फरमा-  इसके बाद आपने अंगूठे को निकाल कर बाक़ी चार उंगलियों को बंद करके फरमाया:          "ये चीज़ें तुम्हारी दुनियां और आखिरत को जमा करने वाली हैं..!!" (صحیح مسلم : 6851)

ऊंटो का पैशाब

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(ऊंटो का पैशाब )  कुछ लोग अकसर बुखारी शरीफ कि एक हदीस जिसमे नबी ए करीम सल्लल्लाहु अलैह व सल्लम ने कुछ ईरानी जो गवार और जंगली टाईप थे जब मदीना मुनव्वरा आए और उनको मदीने कि आबो हवा रास ना आई और वो बिमार हो गये तो नबी ए करीम ने उन्हे ऊंट का पैशाब पिने का हुक्म दिया और वो उसके बाद ठिक हो गये  इस हदीस को पेश करके लोग कहते है कि देखो ऊंटो का पैशाब पिना जायज़ है ( माज़ अल्लाह )  हम इस आहदीस का पसे मन्जर आपको बताते है  सुनो वो अव्वल तो ये जान लिजिये कि पैशाब नापाक और गन्दी चिज़ है ,,चाहे वो किसी का भी हो  दुसरी बात उन इरानियो कि जिनको पैशाब पिने का हुक्म दिया था  तो सुनो ये जान लो वो इरानि लोग गवार और मुरतद काफिर थे और जंगली लोगो मे से थे  उनका काम ही यही था कि वो जब बिमार होते तो इसी तरह के इलाज करते थे  जैसे चरसी को चरस ना मिले तो वो बिमार हो जाता है  ठिक इसी तरह उन इरानियो को मदीने कि पाक साफ हवा रास ना आई और वो बिमार हो गये तो ये हुक्म खास उन गवारो के लिये ही था नबी ए करीम सल्लल्लाहु अलैह व सल्लम को अल्लाह के अता कर्दा इल्म से मालुम था कि इनका इल...

जानिये ! इस्लाम में माँ - बाप के क्या हुक़ूक़ है? वालिदैन को तक़लीफ़ देना कैसा❓

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जानिये ! इस्लाम में माँ - बाप के क्या हुक़ूक़ है? वालिदैन को तक़लीफ़ देना कैसा❓ MAA- BAAP KE HUKOOQ: कुरआने मजीद में इरशाद है- और तुम्हारे रब का कतई फैसला है कि तुम अल्लाह के सिवा किसी की इबादत न करो और वाल्दैन के साथ नेक सुलूक करते रहो। अगर तुम्हारे सामने उनमे से एक या दोनों बुढ़ापे पे पहुँच जाये तो उन्हें उफ़ भी न कहो और न उन्हें झिड़को और उनसे अदब से बात करो और उनके सामने शफ़क़त से आजज़ी के साथ झुके रहो और कहो की ए  मेरे रब जैसे उन्होंने मुझे बचपन में पाला है इसी तरह तू भी उनपर रहम फरमा । (कुरान मज़ीद) अल्लाह तआला ने अपनी इबादत का हुक्म फ़रमाने के बाद वालिदैन के साथ भलाई करने का हुक्म दिया | इससे मालूम होता है कि माँ बाप की ख़िदमत बहुत ज़रुरी है वालिदैन के साथ भलाई के यह माना हैं कि कोई बात न कहे और कोई ऐसा काम न करे जिससे उन्हें तकलीफ़ पहुंचे और अपने बदन और माल से उनकी ख़िदमत में कोई कसर न रखे |  जब उन्हें ज़रुरत हो उनके पास हाज़िर रहे अगर माँ बाप अपनी ख़िदमत के लिए नफ्लइबादत (नमाज़) छोड़ने का हुक्म दें तो छोड़ दे ,उनकी ख़िदमत नफ़्ल से बढक़र है | जो काम वाजिब है वो वालिदैन के हुक्म स...