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Showing posts from July, 2021

मलिक शहबाज़ उर्फ मैल्कम एक्स (अमेरिकि लीडर) की आत्मकथा

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मलिक शहबाज़ उर्फ मैल्कम एक्स (Malcolm X, 1925 -1965) अमेरिका के मशहूर अश्वेत लीडर थे, उन्हें अश्वेत अमेरिकियों के अधिकारों के लिए आवाज़ बुलंद करने के लिए जाना जाता है || उनकी ऑटोबायोग्राफ़ी को पिछली सदी की सबसे इंफ़्लुएन्शिअल किताबों में से एक माना जाता है, उन्होंने इस्लाम कबूल किया और 1964 में हज की यात्रा करने के लिए मक्का गए, हज यात्रा के दौरान उन्होंने एक पत्र में अपने संस्मरण को लिखा, हज यात्रा के एक साल बाद अमेरिका में एक भाषण समारोह के दौरान 21 फ़रवरी 1965 के दिन 39 साल के अल्पायु में उनकी हत्या कर दी गयी थी। हज यात्रा के दौरान उनके द्वारा लिखे गए पत्र का हिंदी अनुवाद निम्नलिखित है - - - - मैंने कभी ऐसा हार्दिक आदर सत्कार और ज़बरदस्त उत्साह से भरपूर सच्चा भाईचारा नहीं देखा जैसा की इस प्राचीन पवित्र भूमि में सभी रंग और नस्ल के लोगों द्वारा व्यवहार में लाते हुए देख रहा हूँ, जो की इब्राहीम, मुहम्मद(स) और पवित्र ग्रन्थ में वर्णित दुसरे पैगम्बरों का घर है | पिछले हफ्ते से मैं बिलकुल अवाक् और सम्मोहित हो चुका हूँ यहाँ की शालीनता को देख कर जो मेरे चारों ओर सभी रंग के लोगों द्वारा व्यवहार ...

बिल्ली_की_बारगाहे_रिसालत_ﷺ‌* *#में_इल्तिजा*

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*#बिल्ली_की_बारगाहे_रिसालत_ﷺ‌*           *#में_इल्तिजा* एक दफा कुछ ज़ायरीन मक्का मुकर्रमा से उमरा अदा करने के बाद मदीना मुनव्वरा में हाज़िर हुए- वो जिस होटल में मुक़ीम थे वहां एक खूबसूरत बिल्ली रहती थी जो एक हाजी साहब के दिल को अच्छी लगी- बिल्ली रोज़ाना उनके क़रीब आती और वो उससे प्यार करते- हाजी साहब के मन में मदीने की बिल्ली खूब समा गई थी- और वो उस बिल्ली को रोज़ कुछ ना कुछ लाकर खिलाते थे- बिल्ली उनको बहुत पसंद आ गई और उन्होंने बिल्ली को अपने साथ अपने वतन ले जाने की नियत कर ली थी- ब तमाम हिफाज़त ले जाने के लिए उन्होंने एक पिंजरे की भी तरकीब बना ली थी- जब हिज्रे मदीना की जां सोज़ घड़ियां क़रीब आईं और मदीने की आखरी रात आ गई तो हाजी साहब ने बारगाहे रिसालत ﷺ‌ में अलविदाई सलाम पेश किया और कमरे पर आकर लेट गए- बस नसीब जाग गए और ख्वाब में आक़ा ए नेमत रिसालत मआब सरकारे कुल कायनात हुज़ूर नबी करीम ﷺ‌ तशरीफ फरमा हुए- करीम लजपाल ने करम फरमाया लब हाए मुबारका को जुम्बिश हुई रहमत के फूल झड़ने लगे हुज़ूर नबी करीम ﷺ‌ ने फरमाया:            "आप लोग सु...

जिब्रान हनफी काविश

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जिब्रान हनफी काविश मख्ज़्ने जूदो सखा पैकरे हिल्मो हया साहिबे तस्लीमो रिज़ा ज़ाहिदे बे रिया अहले हया का पेशवा पेशवाए अग्निया ताजदारे अतकिया दामादे मुस्तफा महबूबे लम यज़ल आशिके हुस्ने अज़ल कौकबे फलके महब्बत शनावरे बहरे शराफत शहेसवारे मैदाने शराफत वाकिफे रमज़े हक़ीक़त आबरुए दीने मतीन नामूसे इस्लाम कामिलिल हयाई वल ईमान जामिइल क़ुरआन इमामे मज़लूम #उस्मान_इब्ने_अफ्फान रदियल्लाहो तआला अन्हू  अमीरुल मोमिनीन सय्यिदना #उस्मान इब्ने अफ्फान रदियल्लाहो अन्हू का नसब इस तरहा है उस्मान बिन अफ्फान बिन अबिल आस बिन बिन उमय्या बिन अब्दे शम्स बिन  अब्दे मनाफ़ हुज़ूर अलैहिस्सलाम और हज़रत उस्मान का नसब अब्दे मनाफ़ पे जाकर मिल जाता है  आपकी कुनियत अबू अब्दुल्लाह है और लक़ब ज़ुन्नूरैन और ग़नी हैं    आपकी विलादत वाकिया फील के 6 साल बाद हुई आपका बचपन बहुत पाकीज़ा गुज़रा   हज़रत अबू हुरैरा रवायत करते हैं नबी अलैहिस्सलाम ने फरमाया हर नबी का जन्नत में एक रफ़ीक़ होगा और मेरा रफ़ीक़ उस्मान है ( सुनने इब्ने माजा सफा 11 )  मेरी सारी उम्मत में सबसे ज़्यादा हयादार हज़रत उस्मान बिन अफ्फान हैं ( नुरुल अबसार सफ...

ईदे गदीर मनाना जाईज़ है या नहीं"

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"शिया ईदे गदीर क्यूं मनाते हैं? अहलेसुन्नत का ईदे गदीर मनाना जाइज़ है या नहीं? ईदे गदीर सबसे पहले किसने मनाई?? हवालाजात की रोशनी में मुलाहीज़ा फरमाएं👇🏻)) "ईदे गदीर मनाना जाईज़ है या नहीं" ईदे गदीर मनाना चाहिए या नहीं? ओर ईदे गदीर की शरई हैसियत क्या है? अल जवाब________ ईदे गदीर अहले तशई के लिए ईदे अकबर है।  क्योंकि वो ये मानते है के इस दिन हज़रत अलिय्युल मुर्तजा़ رضي الله عنه को खिलाफते बिला फसल मिली थी। या इसलिए भी हो सकता है के इसी दिन हज़रत उस्माने गनी رضي الله عنه की शहादत हुई थी। लेकिन असल वजह यही है के वो हज़रत अलिय्युल मुर्तजा़ رضي الله عنه को खलीफाए बिला फसल मानते हैं। "ईदे गदीर की इब्तिदा सबसे पहले मुइजुद्दोला बिन अब्विया ने रवाफिज़ के साथ मिलकर 18 जुलहज्ज 252 सिने हिजरी में बगदाद से शुरू कराई"  "जैसा के अल्बीदायह वन्नहायह में  हाफ़िज़ इब्ने कसीर लिखते हैं👇🏻" [ ثم دخلت سنة ثنتين و ثلاثهاىٔة  ...... و فى عشر ذى الحجة منها أمر معزة الدولة بن بويه باظهار الزينة فى بغداد و ان تفتح الأسواق بالليل كما فى الأعياد ، وان تضرب الدباب و البوقات ، و ا...

ई़दे ग़दीर सुन्नियों की नहीं ⚠*

*⚠ ई़दे ग़दीर सुन्नियों की नहीं ⚠* आज की मुरव्वजा 'ई़दे ग़दीर' जिसने सबसे पहले शुरू की, उसका नाम 'अह़मद इब्ने बुवैह' था, जो आमतौर पर हिस्ट्री में 'मुइ़ज़्ज़ुद् दौलह' के नाम से मशहूर है; ये जब बग़दाद का हाकिम बना, तब इसने 352 हि. में ये सब शीओं वाली हरकतें एलानिया तौर पर शुरू कीं; ये शख़्स शीआ़ हुकूमत 'दौलते बुवैहिय्यह (الدَّولَةُ البُوَيهِيَّةُ)' का बग़दाद में बनने वाला पहला हाकिम था; इस सल्त़नत की बुनियाद 932 ई. में 'रुक्नुद् दौलह बुवैही' ने रखी, और ईरान पर 932 ई. से लेकर 949 ई. तक हुकूमत की, और अपनी सल्त़नत को फैलाया. फिर आख़िरकार ये सल्त़नत 1062 ई. में ख़त्म हो गयी; इमाम अन्दलुसी (d. 741 हि.) अपनी किताब: 'अत् तम्हीद वल् बयान फ़ी मक़्तलिश् शहीद उ़स्मान' में लिखते हैं: "وقد اتخذت الرافضة اليوم الذي قتل فيه عثمان (رضي الله عنه) عيداً، وقالوا: 'هو يوم عيد الغدير'." "और जिस दिन ह़ज़रत उ़स्माने ग़नी (रद़ियल्लाहु अ़न्हु) को शहीद किया गया, उस दिन को राफ़िज़िय्यों ने 'ई़द' बना लिया, और कहा: 'ये ई़दे ग़दीर का द...

18_जिलहिज्जा_यौमे_वफ़ात_हज़रत_उस्मान_गनी रज़ियल्लाहु अन्हु।*

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*✅#18_जिलहिज्जा_यौमे_वफ़ात_हज़रत_उस्मान_गनी रज़ियल्लाहु अन्हु।* हज़रते उस्माने गनी रदियअल्लाह अन्हो की भी क्या शान है ! अल्लाह पाक के नबी का " दामाद " होने की हैसिय्यत से जो खुसूसिय्यत और इन्फिरादिय्यत हज़रते उस्माने गनी रदियअल्लाह अन्हो को हासिल हुई , वोह काएनात में किसी और को हासिल न हो सकी , हज़रते आदम . अलैहिस्सलाम से ले कर हुजूरﷺ तक किसी के निकाह में किसी नबी की दो बेटियां नहीं आई लेकिन हज़रते उस्माने गनी रदियअल्लाह अन्हो वोह खुश नसीब , जन्नती सहाबी हैं कि जिन के निकाह में किसी और नबी की नहीं बल्कि सारे नबियों के सरदार , जनाबे अहमदे मुख़्तारﷺ की दो साहिब ज़ादियां एक के बाद दूसरी निकाह में आई । इसी लिये आप का एक लकब “ जुन्नूरैन ( या'नी दो नूर वाले ) भी है , अल्लाह पाक के प्यारे नबीﷺ ने फ़रमाया : " अगर मेरी दस बेटियां भी होती तो मैं एक के बाद दूसरी से तुम्हारा निकाह कर देता । हज़रते मौला अली रदियल्लाह तआला अन्हो की हज़रते उस्माने गनी रदियअल्लाह तआला अन्हो से मोहब्बत : - मुसलमानों के चौथे ख़लीफ़ा , जन्नती सहाबी हज़रते मौला अली मुश्किल कुशा کَرَّمَ اللہ تَعَالٰی وَج...

ज़िन्दगी कि दिनचर्या

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(कभी केंसर के मरीज़ को देखा है ?)  कभी केंसर के ऐसे मरीज़ को देखा है जिसका केंसर आखरी स्टेज पर पहुच गया हो ?  जिसको डाॅक्टर ने ये कहकर जवाब दे दिया हो कि इसको घर ले जाओ अब कोई इलाज नही है बस चन्द दिनो का मेहमान है ये  आप ऐसे मरीज़ को देखे क्या हाल होता है उसका ?  उसकी आँखो मे नमी होती है  कभी वो बाप को प्यार से देखता है - तो कभी माँ को - तो कभी बहन को कभी भाईयो को कभी दोस्तो को कभी पङोसियो को हर दुश्मन हर वो शख्स जिससे उसको नफरत थी हसद थी बुग्ज़ था उसे अब उन सब पर प्यार आने लगता है  कभी सज्दे मे रोता है ,तो कभी कियाम मे  अब उसका दिल लज्जतो मे नही लगता  अब उसका दिल खेल तमाशो फिल्मो गानो नगमो शायरी मे नही लगता  अब वो कुरान कि तिलावत सुनता है ,अब वो गिबत नही सुनता ना करता है  अब वो नात सुनकर रोता है तौबा करता है  ऐसा क्यो हुवा ? क्योकि एक डाॅ ने उसे उसकी जिस्मानी हालत देखकर उसे मौत कि खबर सुना दी  जिस पर उसे यकिने कामिल हासिल हो गया  जबकी कुरान हमे बशारत देता है कि हर जान को मौत का मज़ा चखना है इस खबर पर हम ईमान तो ले आए लेकि...

तारीखे करबला

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* तारीखे करबला *  *पोस्ट नम्बर ' 2 '*  * शहादत की किस्में :* शहादते जहरी और शहादते सिरीं यानी ऐलानिया और पोशीदा , शहादते जहरी यह है कि एक मुसलमान अल्लाह की राह में आला-ए-कलिमतुल्लाह के लिए अल्लाह तआला और उसके रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के दुश्मनों से लड़ता हुआ और तरह तरह की तक्लीफें और मुसीबतें बर्दाश्त करता हुआ ऐलानिया जान दे दे या मज़्लूमाना तौर पर कत्ल हो जाए और शहादते सिरी यह है कि किसी के जहर देने से या ताऊन की वबा से या अचानक किसी हादसा का शिकार हो जाए मसलन कोई इमारत गिर जाए और यह नीचे आकर दब जाए या कहीं आग लग जाए और यह जल जाए या तैरता और नहाता हुआ या सैलाब की वजह से डूब जाए या तलबे इल्मे दीन या सफरे हज , या पेट और सिल और दिक के मर्ज में इंतिकाल कर जाए और औरत हालते निफास में मर जाए. * शहीद का माना :* इमाम फख्रुद्दीन राजी रहमतुल्लाह अलैह फरमाते हैं । शहीद वह शख्स है जो अल्लाह तआला के दीन की सेहत व सदाकत की कभी तो दलील व बुरहान और कुब्बते बयान से और कभी शम्शीर व सिनान से शहादत दे और अल्लाह की राह में कत्ल होने वाले को भी इसी मुनासिबत से शहीद कहा जाता कि वह अपनी जान कुरब...

तारीखे करबला

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* तारीखे करबला * * पोस्ट नम्बर " 1" * *🌹शहादत🌹* शहादत शहादत आखिरी मंज़िल है इंसानी सआदत की वह खुश किस्मत हैं मिल जाए जिन्हें दौलत शहादत की शहीद इस दारेफानी में हमेशा ज़िन्दा रहते हैं ज़मीं पर चाँद तारों की तरह ताबिन्दा रहते हैं यह शहादत इक सबक़ है हक परस्ती के लिए इक सुतूने रौशनी है बहर हस्ती के लिए अल्लाह तआला इरशाद फरमाता है : " और जो इताअत करते हैं अल्लाह और रसूल की तो वह उन लोगों के साथ होंगे जिन पर अल्लाह ने इंआम फरमाया यानी अंबिया और सिद्दीकीन और शोहदा और सालेहीन और यह साथी क्या ही अच्छे हैं।  " *( सूरः निसा -69 )* इस आयत से दो बातें साबित हुई एक यह कि जो लोग अल्लाह तआला और उसके रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के मुतीअ व फरमां बरदार हैं उनको नबियों , सिद्दीकों , शहीदों और सालेहीन की रिफाकत व मईयत हासिल होगी । दूसरा यह कि नुबुव्वत , सिद्दीकियत , शहादत और सालेहीयत अल्लाह तआला के इंआमात हैं.. हुजूर सैयदे आलम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की ज़ाते अक्दस में हर वह इंआम और हर वह कमाल जो किसी भी मख्लूक को अता हुआ बदरजा अतम मौजूद था । बल्कि जिस किसी को कोई इंआम व कमाल मिला...

कम उम्र मे शरीर का ज्यादा विकास होना कुदरत कि निशानियो मे से है

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कम उम्र मे शरीर का ज्यादा विकास होना कुदरत कि निशानियो मे से है  आम मुशाहीदा भी है कि आम बच्चे जहा सवा दौ साल मे चलना सिखते है वही कुछ खास बच्चे देढ साल मे ही चलना सिख जाते है  और खास बच्चो मे भी कुछ खासुल खास बच्चे ऐसे हुवे जो जिनका पलना और बढना सारे ज़माने के बच्चो से मुमताज़ रहा  हजरत इब्राहीम अलहीस्सलाम जहा एक आम बच्चा एक साल मे जितना विकास करता था अपने शरीर व ज़हन का उतना विकास हजरत इब्राहीम एक महीने मे करते थे  हजरत इसा अलहीस्सलाम पालने मे ही बोलने लगे थे  ठिक इसी तरह अजम के मुकाबले मे अरबियो के बच्चे जल्दी विकास करते है और जल्दी बालिग हो जाते है  इन्ही खसाईस कि बिना पर हजरत आयशा सिद्दीका रज़ियल्लाहु अन्हा भी मुमताज़ रही आप बहुत कम उम्र मे अरबि माहोल के हिसाब से बुलुगत को पहुची और आपका जिस्म ए अतहर जहनी व शारारीक एतबार दौनो से आम बच्चो से ज्यादा विकास पाया  क्योकि अल्लाह ने आपको चुन लिया था नबी ए करीम सल्लल्लाहु अलैह व सल्लम कि रफाकत के लिये  महज़ बारह तैराह साल कि उम्र मे ही आपसे हदीसे रिवायत पाई और कुरान हदीसो से आपने इज्तिहादी मसाईल निकाल...

कुरान_पाक_में_अम्बियाए__किराम_के__इस्मे_गिरामी

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#कुरान_पाक_में_अम्बियाए__किराम_के__इस्मे_गिरामी कुरान पाक में बाज़ अम्बियाए किराम अलैहिमुस्सलाम के इस्मे गिरामी (नाम) मज़कूर हैं और उनके हालत को भी जिक्र किया गया है और बाज़ अम्बियाए किराम अलैहिमुस्सलाम के नाम तो है लेकिन उनके हालत जिक्र नहीं किए गये जैसे हज़रत यसआ और हज़रत जुलकिफ़्ल और बाज़ के वाक़ियात जिक्र है लेकिन नाम नहीं, जैसे हज़कैल और हज़रत शूमूईल और बाज़ कै नाम भी नहीं और हालत भी नहीं जैसे हज़रत दानयाल अलैहिसल्लाम..... कुरान पाक में अम्बियाए किराम कै इस्मे गिरामी : हज़रत आदम, हज़रत नूह, हज़रत इब्राहिम, हज़रत इस्माईल, हज़रत इसहाक, हज़रत हारून, हज़रत याकूब, हज़रत युसूफ, हज़रत हूद, हज़रत सालेह, हज़रत लूत, हज़रत मूसा, हज़रत हारुन, हज़रत शोएब, हज़रत दावूद, हज़रत सुलेमान, हज़रत ज़करिया, हज़रत यहया, हज़रत इल्यास, हज़रत यसआ, हज़रत इदरीस, हज़रत ज़ुल्किफल, हज़रत यूनुस, हज़रत अय्यूब, हज़रत ईसा, अलैहिमुस्लातु वस्सलाम और  मेहबूब ए खुदा  #_हज़रत_मोहम्मद__मुस्तफा ❤️ صَلَّىٰ ٱللَّٰهُ عَلَيْهِ وَآلِهِ وَسَلَّمَ‎

नबीयो ,वलियो स्वालेहीनो के कदम जहा लगे वहा से बरकत हासिल करना।

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(नबीयो ,वलियो स्वालेहीनो के कदम जहा लगे वहा से बरकत हासिल करना)  हजरत अनस बिन मालिक रज़ियल्लाहु अन्हु ने फरमाया कि उन्हे हजरत अतबान बिन मालिक रज़ियल्लाहु अन्हु ने बताया कि वो नाबिना हो गये उन्होने नबी ए करीम सल्लल्लाहु अलैह व सल्लम को पैगाम भिजवाया कि या रसूल्ल्लाहा आप मेरे पास तशरीफ लाए और मेरे घर मे नमाज़ अदा फरमाए ताकि मै उस जगह को  नमाज़ पढने कि जगह बना लु फिर नबी ए करीम अपने अस्हाब के साथ तशरीफ लाए और आप नमाज़ अदा फरमा रहे थे और आपके साथी बाते कर रहे थे,,( ईला आखिरही फिल हदीस ,)  हदीस और बङी है हमने आधी ही लिखी है क्योकि इसमे फिर दुसरा मजमुन और है ,,जिसको पुरी हदीस पढना है वो मुस्लिम शरीफ हदीस नम्बर 149 देखे  खैर सुनो इस हदीस से पता चला कि नबीयो औलिया बुजुर्गो ने जहा इबादत कि उस जगह को हुसुल ए बरकत बनाना सहाबा कि सुन्नत है  अगर ऐसा ना होता तो हुजुर अलहीस्सलाम उन सहाबी से फरमाते कि मेरी उम्मत के लिये सारी ज़मिन मस्जिद बना दी गयी है तुम जहा चाहो अपने घर मे नमाज़ अदा फरमा लो  इस हदीस कि शराह मे ईमाम नववी ,ईमाम इब्ने हजर अस्कलानी और दिगर शाहीरीन ए हदीस ने ...

ईद को बकरा ईद कहना कैसा?

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हिंदू तहज़ीब वालो की तरफ से इस ईद को 'बकरा ईद' कहा है, कोई बता दे मुझे कि 'इंडिया' के अलावा पूरी दुनिया में इस ईद को कोई 'बकरा ईद' कहता हो| यह कमाल सिर्फ 'हुनूद' की तहज़ीब का है,जिस के रंग मे हम रंगते चले गए| इस्लाम मे इस ईद को "ईद-उल-अज्हा" कहा गया है| 'ईद' के मायने है मुसलमानों के जश़न का दिन और 'अज्हा' के मायने है चाश़्त का वक्त|  लेकिन आवाम मे 'ईद-उल-अज्हा' के मायने क़ुरबानी की ईद से मशहूर है| फिर भी लौग 'क़ुरबानी की ईद' ना कहते हुए सीधे 'बकरा ईद' कह देते है, जाहिलों की तरह, फिर मीडिया वाले जब ईद को जानवरों से मंसूब करके मुसलमान और इस्लाम की तस्वीर बिगाड़ते हें तो इसमे अफ़सोस की क्या बात है तुम्हारी तहज़ीब को तो तुमने ही बिगाड़ा है| बहुत से इस्लामी केलेंडरों में भी बेधड़क आज भी 'बकरा ईद' लिखा जा रहा है| जब इस्लाम की तारीख़ मे इस ईद को "ईद-उल-अज्हा" कहा गया है फिर इसे 'बकरा ईद क्यों कहा जाता है ? किसी भी बुज़ुर्ग ने इस ईद को 'बकरा ईद' नही कहा है| बराए करम ये अहद करें के. आ...

Islamic 12 maah

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Islamic 12 maah  ▫1 - Muhrram ▫2 - Safar ▫3 - Rabi ul awwal ▫4 - Rabi ul aakhar ▫5 - Jmadiul awwal ▫6 - Jmadiul aakhar ▫7 - Rajab ▫8 - Shaban ▫9 - Ramzan ▫10- Shawwal ▫11- Zil qad ▫12- Zil hajj Gour karein! 1) Saal ka akhri mahina bhi Qurbani,  Pehla bhi Qurbani.  2) Woh bhi 10 ko, ye bhi 10 ko..  3) Woh bhi Nabi ka laal, ye bhi Nabi  ka laal..  4) Un ki yaad bhi manate hein, in ki  yaad  bhi manate hein.  5) Woh Zabh-e-Azeem, ye Shaheed-e-  Azeem..  6.) Unhone Khawab nibhaya, inhone  Wada-e-Tifle nibahya..  Woh sabr ki Ibteda, ye sabr ki  Inteha..  7) Woh KAABA ke banane wale, ye  KAABA ko bachane wale www.islamicbatein786.blogspot.com

कुरआन__पाक_के_कितने_नाम_है_और_क्या_क्या

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कुरआन__पाक_के_कितने_नाम_है_और_क्या_क्या 1. किताब, 2. मुबीन, 3. कुरआन, 4. करीम, 5. कलाम, 6. नूर, 7. हुदा, 8. रहमत, 9. फुरक़ान, 10. शिफ़ा, 11. मोईज़ा, 12. ज़िक्र, 13. मुबारक, 14. उलया, 15. हिकमत, 16. हकीम, 17. मुहैमिन, 18. हबल, 19. सिराते मुस्तकीम, 20. कय्यिम, 21. कौल, 22. फ़सल, 23. न-ब -इल अज़ीम, 24. अह्सनुल हदीस, 25. मसानी, 26. मुताशाबेह, 27. तंज़ील, 28. रूह, 29. वही, 30. अरबी, 31. बसाइर, 32. बयान, 33. इल्म, 34. हक़, 35. हादी, 36. अजब, 37. तज़्किरा, 38. उर्वतुल वुस्क़ा, 39. सिदक़, 40. अदल, 41. अम्र, 42. मुनादी, 43. बुशरा, 44. मजीद, 45. ज़ुबूर, 46. बशीर, 47. नज़ीर, 48. अज़ीज़, 49. बलाग़, 50. क़सस, 51. सहफ. 52. मुकर्रमा, 53. मरफूआ, 54. मुताहिरा, 55. बुरहान, ( अल अतकान फी उलूमुल कुरआन जि • 1, स •67)                   #वल्लाहु__आलम www.islamicbatein786.blogspot.com

हुजुर नबी ए करीम सल्लल्लाहु अलैह व सल्लम पर कुरबानी फर्ज़ थी और उम्मत

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हुजुर नबी ए करीम सल्लल्लाहु अलैह व सल्लम पर कुरबानी फर्ज़ थी  और उम्मत पर यकिनन साहीबे निसाब पर कुरबानी वाजिब है  उसकी दलिल फसल्लि ली रब्बिका वन्नहर है  और इसकी ताईद उस हदीस है कि हुजुर नबी ए करीम सल्लल्लाहु अलैह व सल्लम ने फरमाया ये कुरबानी तुम्हारे बाप इब्राहीम अलहीस्सलाम कि सुन्नत है लिहाज़ा कुरबानी करो  तो हदीस व कुरान मे कुरबानी का अम्र है और अम्र वाजिब होता है  और फरमाया कि जिसने नमाज़ से पहले कुरबानी कि वो अपनी कुरबानी दौहराए और अल्लाह के नाम पर ज़िब्ह करे  और जो कुरबानी कि गुंजाईश पाए और कुरबानी ना करे वो हमारी इदगाह पर ना आए  लिहाज़ा सुन्नते इब्राहीम कहने का कतीय ये मतलब नही कि कुरबानी सिर्फ सुन्नत है बल्कि सुन्नत से मनसुब करने का मतलब है कि ये हमारे दीने इस्लाम का तरीका है जो इब्राहीम अलहीस्सलाम से चला आ रहा है  रही हजरत अबु बक्र व हजरत उमर रज़ियल्लाहु अन्हु कि वो हदीस कि आपने साल दौ साल छोङकर कुरबानी कि उसका जवाब व ताविल ये है कि आप अफलास मे से थे यानी इतना माल कभी रखा ही नही जमा करके कि कुरबानी वाजिब हो ,,और कभी किसी साल यौमे नहर माल आ...

तहज्जुद

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*#तहज्जुद* क्या आप फ़र्ज़ नमाज़ और तहज्जुद की नमाज़ के दरमियान फर्क़ जानते हैं ? मैने एक बेहतरीन मज़मून पढ़ा ऐसी बात कि जिससे रोंगटे खड़े हो जाते हैं... मुझे रात के आखरी पहर में नमाज़ की तौफीक़ हुई तो मैंने एक अजीब बात महसूस की:           "कि फर्ज़ नमाज़ की निदा बंदे की आवाज़ में आती है, और रात के आखरी पहर की नमाज़ "तहज्जुद" की निदा बंदों को रब की जानिब से आती है-  फर्ज़ नमाज़ की निदा हर कोई सुनता है, और तहज्जुद की नमाज़ की निदा बाज़ लोग ही महसूस करते है, फर्ज़ नमाज़ की निदा "हय्या अ लस-सलाह, हय्या अलल फलाह" आओ नमाज़ की तरफ, आओ कामयाबी की तरफ है, और तहज्जुद की नमाज़ की निदा (هل من سائل فأعطيه) है........ है कोई मांगने वाला जिसे मैं अता करूँ! फ़र्ज़ नमाज़ मुसलमानों की अक़्सरियत अदा करती है, जबकि तहज्जुद की नमाज़ वही लोग अदा करते है जिन को अल्लाह ने चुन लिया है, और मुन्तख़ब कर लिया है- फ़र्ज़ नमाज़ बाज़ लोग रिआकारी और दिख्लावे के लिए भी पढ़ते हैं, जहां तक ताल्लुक़ है तहज्जुद की नमाज़ का तो उसे हर कोई तन्हाई में खालिस अल्लाह के लिए पढ़ता है। फ़र्ज़ नमाज़ की अदायगी के दौरान दिनों के मशागिल...

क़ुरबानी

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#क़ुरबानी *_हज़रत इस्माईल अलैहिस्सलाम जब तक पैदा नहीं हुए थे तो हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम औलाद के लिए दुआ किया करते थे जब उनकी दुआ क़ुबूल हुई तो मौला फरमाता है कि "हमने उसे खुशखबरी सुनाई एक बुर्दबार लड़के की" चुंकि मौला ने उन्हें सब्र वाला फरमाया था सो उसकी मिसाल भी पेश करनी थी और दुनिया को दिखाना भी मक़सूद था,सो हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम को ज़िल्हज्ज की 8,9,10 तारीख को लगातार ख्वाब में आपके बेटे की क़ुरबानी करने का हुक्म दिया गया,चुंकि ये हुक्म ख्वाब में देखा था तो 8 को पूरा दिन सोचने में गुज़र गया तो इस दिन को यौमुल तरविया यानि सोच विचार का दिन कहा गया फिर 9 को ख्वाब देखा तो पहचान लिया कि ये सच्चा ख्वाब है तो इसे यौमुल अरफा यानि पहचानने का दिन फिर 10 को इरादा कर लिया क़ुरबानी पेश करने का इस लिए इस दिन को यौमुन नहर यानि क़ुरबानी का दिन कहा गया_* *📕 तफसीरे नईमी,जिल्द 2,सफह 296*  *_क़ुरबानी के वक़्त हज़रत इस्माईल अलैहिस्सलाम की उम्र कितनी थी इसमें 2 क़ौल है बाज़ ने 7 साल कही और बाज़ ने 13,मगर 13 ही राजेह है,10वीं ज़िल्हज्ज को आप अपने बेटे को लेकर मिना की जानिब निकल पड़े पहले तो शैतान ने दोस्त...

क़ुरबानी के ‎4 ‏फरमाने मुस्तफाﷺ

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🐑क़ुरबानी के 4 फरमाने मुस्तफाﷺ,,✍  •──────────  *🔰🤲►  क़ुरबानी करने वाले को क़ुरबानी के जानवर के हर बाल के बदले में एक नेकी मिलती है।          *🔰तिर्मिज़ी शरीफ  3 /162 📘* •┈► जिसने खुश दिली से तालिबे षवाब हो कर क़ुरबानी की, तो वो आतशे जहन्नम से हिजाब (यानी रोक) हो जाएगी।       *🔰अल-मोजमुल कबीर 3/84📕* •┈► ऐ फातिमा ! अपनी क़ुरबानी के पास मौजूद रहो क्यू कि इसके खून का पहला क़तरा गिरेगा तुम्हारे सारे गुनाह मुआफ़ कर दिये जाएंगे।           *🔰बहकी शरीफ 9/476📗* •┈► जिस शख्स में क़ुरबानी करने की वुसअत हो फिर भी वो क़ुरबानी न करे तो वो हमारी ईबादत के क़रीब न आए,,✍         *🔰इब्ने माजह 3/ हदीस 529📒*

फ़जीलत ए कुर्बानी

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🦌फ़जीलत ए कुर्बानी *⚘हज़रते इब्राहिम ( عَلَيْهِ السَّلاَم) का इम्तिहान हज़रते इस्माईल ( عَلَيْهِ السَّلاَم)  की क़ुर्बानी,, ✍*    *🔰🤲► *हज़रते इब्राहिम ( عَلَيْهِ السَّلاَم)  से शैतान की नाकामी* हज़रते कतादा रजी अल्लाह त’आला अन्हो से मरवी है की शैतान ने हज़रते इब्राहिम ( عَلَيْهِ السَّلاَم)  और आप के बेटे पर (क़ुर्बानी ना करने पर) कामयाब होने का इरादा किया तो एक दोस्त की शक्ल में आप को रोकने के लिए आया लेकिन आप पर कामयाब ना हो सका, फिर आप के बेटे हज़रते इस्माईल  ( عَلَيْهِ السَّلاَم) को इस राह से हटा ने की कोशिस की लेकिन उन पर भी इसका दाव ना चल सका तो उसने बहोत बड़ा मोटा ताज़ा बन कर वादी (घाटी) को भर दिया ताकि आप इससे आगे ना जा सके, हज़रत इब्राहिम  ( عَلَيْهِ السَّلاَم) के साथ एक फरिस्ता था जिसने आप को कहा इसे मारे •┈► आपने इसे 7 कांकरिया मारि तो वो रस्ते से हट्ट गया, दोबरा फिर आगे आने की ये कोशिस की आपने फिर कांकरिया मार कर रास्ता से हटा दिया, तीसरी बार फिर इस तरह आगे आकर रास्ता बंद कर दिया तो आपने फिर इस तरह 7 कांकरिया मार कर रास्ता से हटा दिया। *🔰(रूहुल मा...

मसाइले क़ुर्बानी

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                    *मसाइले क़ुर्बानी* *_______________________________________* *काना,लंगड़ा,लागर,बीमार,जिसकी नाक या थन कटा हो,जिसका कान या दुम तिहाई से ज्यादा कटी हो,बकरी का 1 थन या भैंस का 2 थन खुश्क हो ऐसे जानवरों की क़ुर्बानी नहीं हो सकती* *📕 बहारे शरियत,हिस्सा 15,सफह 139* *_क़ुर्बानी के जानवर को ऐब से खाली होना चाहिए अगर ज़्यादा ऐबदार है तो क़ुर्बानी नहीं होगी और अगर थोड़ा भी ऐब होगा तो क़ुर्बानी तो हो जाएगी मगर मकरूह है,जानवर की पैदाईशी सींग नहीं है तो क़ुर्बानी हो जायेगी मगर सींग थी और जड़ से टूट गयी क़ुर्बानी नहीं हो सकती अगर थोड़ी सी टूटी है तो हो जाएगी,भैंगे की क़ुर्बानी हो जायेगी मगर अंधे की नहीं युंही जिसका काना पन ज़ाहिर हो उसकी भी क़ुर्बानी जायज़ नहीं,बीमार इतना है कि खड़ा होता है तो गिर जाता है या इतना लागर है कि चल भी नहीं सकता क़ुर्बानी नहीं हो सकती,जानवर का कोई भी अज़ू अगर तिहाई से ज़्यादा कटा है तो क़ुर्बानी नहीं हो सकती,जिसके पैदाईशी कान ना हो या एक ही कान हो क़ुर्बानी नहीं हो सकती,जिसके दांत ही ना हो या जिसके थन कटे हों या एक दम सूख गए...

वाक़ई बेटियों की तरबियत ऐसी ही करनी चाहिए।

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*#वाक़ई_बेटियों_की_तरबियत*     *#ऐसी_ही_करनी_चाहिए* शादी के तीन साल के बाद सासू मां ने बहू से पूछा:           "बहू मुझे एक बात तो बता मैं तुझे इतनी खराब और खरी खरी बातें सुनाती हूं और तू पलट कर जवाब भी नहीं देती और गुस्सा भी नहीं करती बस हंसती रहती है-" बहू को तो जैसे सुनाने को कहानी मिल गई...... कहने लगी:          "अम्मा जी! आपको एक बात सुनाती हूं मैं जब छोटी थी मुझे हमेशा ऐसा लगता था कि मेरी मां मेरी सगी मां नहीं.. क्यूंकि वो मेरे से घर के सारे काम करवाती थीं और कोई काम गलत हो जाता तो मुझे डांट भी पड़ती थी और कभी कभी मार भी देतीं थीं- लेकिन मां थीं वो मेरी.. और उनसे डर भी लगता था- तो कभी गुस्सा नहीं किया मैंने उनसे- यहां तक कि मैं कॉलेज से थक कर वापस आती तो आते ही कुछ देर आराम के बाद मुझे काम करने होते थे- फिर जब मेरी भाभियां आईं तब तो जैसे मेरे काम ज़्यादा ही बढ़ गए.. होता तो ऐसे है ना कि बहू आई तो सारी ज़िम्मेदारियां उस पर डाल दीं..!!! मेरी अम्मी ने फिर भी मेरे से काम करवाया और कभी भी भाभियों को नहीं डांटा बल्कि उनके काम भी...

क्या औरतों को जानवर ज़ुबह करना नाजाइज़ है?

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क्या औरतों को जानवर ज़ुबह करना नाजाइज़ है? ⏬⏬⏬⏬⏬⏬⏬⏬⏬⏬⏬⏬⏬ औरत भी जानवर ज़ुबह(ज़िबह) कर सकती है और उसके हाथ का ज़ुबह किया हुआ जानवर हलाल है। मर्द और औरत सब उसे खा सकते हैं। मिश्कात शरीफ़ किताबुस्सैद वलज़िबाह सफ़ा 357 पर बुख़ारी शरीफ के हवाले से इसके जाइज़ होने की साफ़ हदीस मौजूद है जिसमें यह है कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने एक लड़की के हाथ की जुबह की हुई बकरी का गोश्त खाने की इजाज़त दी। मजीद तफसील के लिए देखिए सय्यिदी मुफ्ती आज़म हिन्द अलैहिर्रहमह का फतावा मस्तफ़विया जिल्द सोम सफ़ा 153 और फतावा रज़विया जिल्द 8 सफ़ा 328 और सफ़ा 332, -- खुलासा यह कि औरतों के लिए भी मर्दों की तरह हलाल जानवरों और परिन्दों को ज़ुबह करना जाइज़ है जो इसे ग़लत कहे वह खुद गलत और निरा जाहिल बल्कि शरीअत पर इफ्त्तिरा करने वाला है।  समझदार बच्चे का जुबह किया हुआ जानवर भी हलाल है। और मुसलमान अगर बदकार और हरामकार हो तो ज़बीहा उसका भी जाइज़ है, नमाज़, रोज़े का पाबन्द न हो, उसके हाथ का भी ज़ुबह किया हुआ जानवर हलाल है। हाँ नमाज़ छोड़ना और हराम काम करना इस्लाम में बहुत बुरा है।  दुर्रेमुख्तार में है:-ज़िबह करने वाल...

__मक्का__ज़्यादा__अफ़ज़ल__या__मदीना__?

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#__मक्का__ज़्यादा__अफ़ज़ल__या__मदीना__?                       ♥️♥️♥️ मैंने पूछा:            "बाबा जी ये तो बताएं कि मक्का ज़्यादा अफज़ल है या मदीना?" बाबा जी ने कहा:          "पुत्तर अपना बटुआ निकाल-" मैंने अपना बटुआ निकाला और बाबा जी के सामने रख दिया-  बाबा जी ने मेरे बटुए की तरफ देखा और कहा:            "पुत्तर फर्ज़ कर ले कि तेरे इस बटुए की क़ीमत पांच रुपया है- इसमें अगर तू एक लाख रुपए का हीरा जड़ दे तो फिर इसकी क़ीमत बढ़ जाएगी और बजाय पांच रुपए के एक लाख हो जाएगी- और फिर अगर बटुए के अंदर पांच पांच हज़ार के बीस नोट रख ले तो तेरे बटुए की मालियत एक लाख से बढ़ कर दो लाख हो जाएगी-" पुत्तर याद रख............          "अल्लाह तआला के खज़ानों में सबसे ज़्यादा क़ीमती वजूद हुज़ूर सरवरे आलम ﷺका है- हुज़ूर नबी ए करीम ﷺअगर ज़मीन पर हों तो ज़मीन आसमान से अफज़ल और अगर हुज़ूर नबी ए करीम ﷺआसमान पर हों तो आसमान ज़मीन से अफज़ल- इसी उसूल क...

सोज़े_रूमी

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*#सोज़े_रूमी* रिवायत है कि एक क़स्बे में एक मज्ज़ूब था जो हमेशा अपने आप में मस्त रहता था- एक दिन वो मस्जिद में नमाज़ पढ़ने के लिए पेश नमाज़ के ऐन पीछे नियत बांध कर खड़ा हो गया- इमाम जब सूरह इख्लास पढ़ना शुरू हुआ तो मज्ज़ूब की आंखों से आंसू बह कर उसके गरीबां तर करने लगे और उसने एक चीख मार कर अपना गरीबां फाड़ दिया और ज़ोर ज़ोर से रोने लगा- नमाज़ मुकम्मल होने पर उसके पहलू में बैठे शख्स ने पूछा कि:             "तुम गरीबां फाड़ कर रोने क्यूं लग पड़े थे? सूरह इख्लास में तो अल्लाह की वहदानियत का बयान है- उसके मज़ाहिर और औसाफ बयान किए गए हैं- ना इस सूरह में जन्नत जहन्नम की मंज़रकशी की गई है ना किसी अज़ाब का बयान है- ना यहां हज़रत याक़ूब की नाबीनाई का कोई ज़िक्र है ना हज़रत अय्यूब की बीमारी का- گفت آن شوریدہؑ درد آشنا गुफ्त आं शोरीदह दर्द आसना "گریه ام آیَد به احوالِ خدا गिरियह अम्म आयद बिह अहवाले खुदा वो दर्दमंद व शोरीद सर यूं गोया हुआ... "मुझे उस (अल्लाह) के हाल पर रोना आता है..." نی پدر دارَد، نی مادر، نی پسر नी पिदर दारद नी मादर नी पिसर نی یکی خویشی کز او گِیرَد...

एक नौजवान कहता है:

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एक नौजवान कहता है:         "मेरा किसी बात पर अपने वालिद से कुछ ऐसा इख्तिलाफ हुआ कि हमारी आवाज़ें ही ऊंची हो गईं- मेरे हाथ में कुछ स्टडी बुक्स थीं जो मैंने गुस्से में उनके सामने मेज़ पर पटखे और दरवाज़ा धड़ाम से बंद करते हुए अपने कमरे में आ गया-" बिस्तर पर गिर कर होने वाली इस बहस पर ऐसा दिमाग उलझा कि नींद ही उड़ गई- सुबह यूनिवर्सिटी गया तो भी दिमाग कल वाले वाक़िए पर अटका रहा- शर्मिंदगी और झुंझलाहट के मारे दोपहर तक सब्र जवाब दे गया- मैंने मोबाइल निकाला और अपने अब्बा जी को यूं पैगाम भेजा:             "मैंने कहावत सुन रखी है कि पांव का तलवा पांव के ऊपर के हिस्से से ज़्यादा नर्म होता है- घर आ रहा हूं क़दम बोसी करने दीजिएगा ताकि कहावत की तस्दीक़ हो सके-" मैं जब घर पहुंचा तो अब्बा जी सहन में खड़े मेरा ही इंतज़ार कर रहे थे- अपनी नमनाक आंखों से मुझे गले से लगाया और कहा:        "क़दम बोसी की तो मैं तुम्हें इजाज़त नहीं देता ताहम कहावत बिल्कुल सच्ची है क्यूंकि जब तुम छोटे से थे तो मैं खुद जब तेरे पांव चूमा करता था तो मुझे पांव के ...

1_ज़िल_हिज्जाह निकाह मुबारक सय्यदा फ़ातिमा-तुज़-ज़हरा वा मौला-ए-काएनात अली मुश्किल कुशा,तमाम आशिकाने अहले बैत को खूब-खूब मुबारक

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कायनात का सबसे प्यारा जोड़ा जिसमे दूल्हा अल्लाह के घर की तरफ से और दुल्हन मुस्तफा ﷺ के घर से ! वो मौला अली करम अल्लाहु वजहुल करीम जो नबी ﷺ की बारगाह में बैठ कर अपने दिल में बात रख के सैय्यदा खातूने जन्नत बीबी फातिमा رضی اللہ تعالیٰ عنہا से रिश्तें के लिए आतें है ! हुज़ूर अलैहिस्सलाम के सामने हया करतें बताने में हिचकिचाते ,हुज़ूर अलैहिस्सलाम खुद कहतें अली किस मकसद से आय हो ,  फिर आक़ा कहतें फातिमा का रिश्ता मांगने आय हो इतना मेरे आक़ा करीम ﷺ का कहना था ! मौला अली करम अल्लाहु वजहुल करीम का चेहरा हया से झुक गया आक़ा कहतें अल्लाह ने मुझे पहले ही खबर दे दी अली आ रहे हैं फातिमा का रिश्ता मांगने इतना सुन्ना था मौला ए क़ायनात के आँखों में आशु  आ गए !  #मुख्तसर फिर आका अलैहिस्सलाम अपनी बेटी सैय्यदा खातूने जन्नत बीबी फातिमा رضی اللہ تعالیٰ عنہا के पास जातें और अली से रिश्ते की इज़ाज़त लेते ये भी मेरे नबी की सुन्नत है बेटियों से उनकी इज़ाज़त रज़ामंदी लो निकाह में किसी के साथ आने के लिए ! इतना पूछना ही था सय्यदा पाक का सर हया से झुक गया लबों पे हल्की तबस्सुम थी आँखों से आशु ज़ारी थे हुज़ूर अलैहिस्...

अशरा_ए_ज़िलहिज्जा_में_करने_के_काम

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🕋*#अशरा_ए_ज़िलहिज्जा_में_करने_के_काम*🕋 *1. कसरत से नवाफिल अदा करना-* *2. नमाज़ों में मुकम्मल पाबंदी करना-* *3.कसरते सुजूद से क़ुर्बे इलाही का हासिल करना-(सही मुस्लिम)* *4. नफ्ल रोज़े का एहतिमाम करें-* क्यूंकि आमाले स्वालेहा में रोज़े शामिल हैं- रसूलल्लाह ﷺ ज़िलहिज्जा की शुरू तारीखों में रोज़ा रखते थे,यौमे आशूरा, मुहर्रम और हर महीने तीन रोज़े रखना भी आप ﷺ का मामूल था- (بحوالہ ابوداؤد، مسند احمد) *5. कसरत से अल्लाह तआला की हम्दो सना बयान करना भी इन अय्याम का एक मारूफ फअल है-* इमाम बुखारी رحمتہ اللہ علیہ के मुताबिक़ सैय्यिदिना अबू हुरैरा رضی اللہ عنہ और सैय्यिदिना अब्दुल्लाह बिन उमर رضی اللہ عنہم बाज़ारों में जाते थे,खुद भी तकबीरात कहते और लोग भी तकबीरात बलंद आवाज़ से पढ़ते थे- सैय्यिदिना उमर رضی اللہ عنہ अपने खैमे में बलंद आवाज़ से तकबीरें कहते तो अहले मस्जिद उसको सुनकर जवाबन तकबीरें कहते थे- सैय्यिदिना इब्ने उमर رضی اللہ عنہ नमाज़ों के बाद,घर में,आते जाते,पैदल चलते हुए तकबीरें कहते थे- अफसोस सद अफसोस कि इन अय्याम में ये अज़ीम सुन्नत खत्म हो गई है-  तकबीर इन अल्फाज़ से कही जाती है:...

ज़ोवजा का मतलब

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लोग समझते है कि ज़ोवजा का मतलब सिर्फ बिबी होता है  जबकी ज़ोवज़ा का मतलब होता है जोङा  यानी जोङ  जैसे जब दौ जुङवा बच्चे पैदा होते है तो लोग उन्हे जुङवा कहते है  ठिक इसी तरह जब दौ जोङ बनते है तो उन्हे ज़ोवजा कहते है  फिर चाहे उनकी फितरत अलग अलग ही क्यो ना हो  दौ जुते मिलकर जब एक जोङ बनते है तो उन्हे भी जो़वजा कहा जाता है  ठिक इसी तरह मर्द औरत का ज़ोज है  और औरत मर्द का ज़ोज  इसीलिये अल्लाह ने कुरान कि सुराह निसा कि आयत नम्बर एक मे फरमाया अपने रब से डरो जिसने तुम्हे एक जान से पैदा किया और इसी मे से इसका जोङा बनाया  तो मर्द व औरत एक दुसरे के जोङे है एक सामान है  फज़िलत उनकी खसलतो व फितरी तक़ाज़ो पर है नोट -  ज़ोवजा कुरान की लुगत  मे कहते है।

आप पर क़ुर्बानी वाजिब नही है फ़िर भी बग़ैर क़ुरबानी किये आप कुर्बानी का सवाब पा सकते है...?

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क्या आपको पता है....आज आख़री दिन है ?  आप पर क़ुर्बानी वाजिब नही है फ़िर भी बग़ैर क़ुरबानी किये आप कुर्बानी का सवाब पा सकते है...? हदीसें पाक :- *"जब तुम ज़िल हिज्ज् का चांद देखलो और तुम मेसे किसी का क़ुरबानी करने का इरादा हो तो उसे चाहिए कि वोह (जानवर ज़िब्ह करने तक)  न अपने अपने जिस्म के बाल काटे न अपने नाख़ून तराशे"* ( सहीह मुस्लिम ,5234) मसअला : जिस पर क़ुरबानी वाजिब है और जो क़ुरबानी करना चाहता है तो मुस्तहब ये है कि वो पहली ज़िल हिज्ज् से 10 वी ज़िल हिज्ज् तक बाल,नाख़ून न कटाये... 📝 एक रवायत और मिलती है कि जिनपर क़ुरबानी वाजिब नही वह मोमिन भी अगर 1 से लेकर 10 ज़िल्हिज्ज् तक बाल नाख़ून न कटाये तो उसे भी रब तआला क़ुरबानी का सवाब अता फ़रमाएगा.... (बहारे शरीअत-हिस्सा 15, सफ़ा 131) आज 29 तारीख़ है मुमकिन है चांद नज़र आने वाला है लिहाज़ा जिस्म के जो भी बाल साफ़ करना हो करले, नाख़ून तराशले...30 का चांद भी हो सकता है... 🖌📚:- (जन्नती ज़ेवर,सफ़ा-214, क़ुरबानी का बयान) www.islamicbatein786@blogspot.com

करामत ए औलिया और मुर्दे को ज़िन्दा करना

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(करामत ए औलिया और मुर्दे को ज़िन्दा करना )  आज के चन्द बुङबक जमात के लङके जो दावा तो अपने आईम्मा को मानने का करते है लेकिन उनके अकाईद के खिलाफ ही अकाईद गढ चुके है  एहले हदीस फिर्का जो इब्ने तैमियाह को अकाबिर औलमा मानता है और औलिया अल्लाह कि करामत का इन्कार करता है जबकी इब्ने तैमियाह ने औलिया अल्लाह कि करामतो को हक माना है हत्ता कि मुर्दो को ज़िन्दा कर देने वाली करामत तक को अपनी किताब औलियाउर्रहमान व औलियाउस्शैतान सफा नम्बर 203 पर दर्ज करते है कि  इब्ने असिम जिहाद कर रहे थे कि उनका घोङा मर गया आपने दुआ कि तो वो वापस ज़िन्दा हो गया  हत्ता कि वापसी तक ज़िन्दा रहा और घर आने पर आपने अपने बेटे से उसकी पिठ से ज़िन उतारने को कहा और फरमाया कि वो घोङा अमानत है उस पर से ज़िन उतार लो जैसे ही ज़िन उतारी गयी वो घोङा फोरन मर गया  तो सलफे स्वालेहीन से लेकर अकाबिर औलमा तक चाहे वो किसी भी मकतबे फिक्र के रहे हो उनका अकिदा सुफिया औलिया सलफ वाला ही रहा जैसा बरेलवियत का है हकिकि सलफी अकिदा यही है  लेकिन एहले हदीस इन अकिदो से फरार ईख्तियार कर गये और झुठे सलफी बन गये w...

Allah ‎ﷻ ‏ka Farman e Aali'Shan hai ‎ ‎ ‎ ‎ ‎ Nabi ‎ﷺ ‏KI GUSTAKHI KARNE WALA HARAM KI AULAD HAI.

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Allah ﷻ ka Farman e Aali'Shan hai ; NABI ﷺ KI GUSTAKHI KARNE WALA HARAM KI AULAD HAI.... WALID BIN MUGIRA NE HUZUR ﷺ KI SHAAN ME GUSTAKHI KI yaani majnun KAHA JIS SE NABI E PAK ﷺ KO DUKH HUA TO ALLAH TAALA NE CHAND AAYAAT E MUBARAKA NAAZIL FARMA KAR HUZUR ﷺ KO TASALLI WA TASHAFI DI AUR AAYAT E MAZKURA BAALA ME IS GUSTAKH KE NAU(9) AIBON KO BAYAN FARMAYA HAI TTA KE YE BHI ZAAHIR KAR DIYA KE ISS KI ASL WALADUL HARAAM HAI. JAB YE AAYATEN NAAZIL HUI TO WALID BIN MUGIRA NE APNI MAA SE JAKAR KAHA KE MOHAMMED ﷺ NE MERE ME (9)NAU BAATEN BAYAAN KI HEN IN ME (8)AATHH KO TO MAIN JAANTA HUN LEKIN (9)NAUVIN BAAT Yaani MERI ASL ME KHATA HONA TUJHI KO MALUM HOGA TU MUJE SACH SACH BATADE WARNA MAIN TERI GARDAN MARDUNGA. USKI MAA NE JAWAB DIYA KE HAAN BETA TERA BAAP NA MARD THA MUJHE FIKR HUI KE WHO MAR JAAEGA TO US KA MAAL DUSRE LOG LE JAAENGE TO MAIN NE EK CHARWAAHE KO BULA LIYA AUR TU USI KE NUTFA SE PAIDA HUA HAI. ISSI TAFSIR SE MALUM HUWA KE HUZUR ﷺ KI SHAAN E AQDAS ME GUSTAKHI KARNE WALE KE A...

इंसान को अपनी नेकी का सिला ज़िंदगी में कहीं न कहीं मिल ही जाता है ।

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इंसान को अपनी नेकी का सिला ज़िंदगी में कहीं न कहीं मिल ही   जाता है । ___________________________________________ ये अमरीकी शहर कन्सास सिटी का मंज़र है जहां एक बूढ़ा फक़ीर (बैली रे) पिछले पन्द्रह साल से सड़क किनारे भीख मांग रहा था- उसके पास अपना कोई घर नहीं उसका वाहिद ठिकाना शहर की सड़कें और गलियां होती थीं- लोग उसके सामने से गुज़रते रहते कोई तरस खाकर उसके प्याले में सिक्के डाल देता- एक दिन एक खातून (सारह) ने उसके प्याले में कुछ सिक्के डाले और आगे बढ़ गई- फक़ीर ने कुछ देर बाद प्याले पर नज़र डाली तो उसे हैरत हुई कि प्याले के अंदर एक जगमगाती हुई अंगूठी पड़ी हुई थी- उसने जल्दी से उसे उठा कर देखा तो हैरत से उसकी आंखें फटी की फटी रह गईं- वो बहुत क़ीमती अंगूठी थी जिसकी क़ीमत कई हज़ार डॉलर थी-  बैली ने कुछ देर सोचा फिर उसे याद आया कि ये अंगूठी उसी खातून की होगी जिसने शायद गलती से प्याले में डाल दी- पहले तो उसके दिल में लालच पैदा हुआ कि वो वहां से भाग जाए और उसको बेच कर अपनी ज़रूरियात को पूरा कर ले- इसके मक़सद के लिए वो एक ज्वेलर के पास भी गया लेकिन उसने बाद में अंगूठी सारह को वा...

नमाज़ ए जनाज़ा

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नमाज़ ए जनाज़ा दर असल नमाज़ नही है बल्कि मय्यत के लिये इस्तिगफार है और रब कि बारगाह मे शफाअत मांगने का ज़रीया  चुंकि सलात ( नमाज़ )  का एक माना दुआ होता है इसलिये बतोरे लुगत इसे नमाज़ ए जनाज़ा कहा जाता है  इस नमाज़ मे कुरान ए मजिद कि तिलावत करना मना है बतौरे किरात , इसकी दलिल कसिर तादाद मे सहाबा किराम के आसार से है  कसिर सहाबा ने फरमाया है कि नमाज़े जनाज़ा कि पहली तकबिर के बाद सना करो रब कि फिर अपने नबी पर दरुदे पाक भेजो फिर उस मय्यत के लिये दुआ करो  कुछ सहाबा से जो सुराह फातिहा पढने कि जो सबुत मिलते है वो बतोरे तिलावत नही पढी गयी बल्कि बतोरे सना ए इलाही पढी गयी  यही ईमाम अबु हनिफा का मज़हब है कि जनाज़े मे कुरान कि तिलावत ना कि जाए  हाँ बतोरे सना या बतोरे दुआ कुछ कलेमात पढ लिये वो भी निय्यत ए सना व दुआ के तो हर्ज नही । www.islmaicbatein786@blogspot.com

_नमाज़_

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*_आइये पढ़े और अपने इल्म में इजाफा करें_*                                                             *_नमाज़_* *_________________________________________* *_ह़दीस:--- हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया बंदा जब नमाज़ के लिए खड़ा होता है, उसके लिए जन्नतों के दरवाज़े खोल दिए जाते हैं और उसके और परवरदिगार के दरमियान हिजाब हटा दिये जाते हैं, और ह़ुरैं उसका इस्तक़बाल करती हैं_* *📕📚अत्तरग़ीब वत्तरहीब जिल्द 1 सफह 126 ह़दीस 12* *للمنذری، کتاب الصلوۃ، الترھیب من البصاق فی المسجد،*  *_ह़दीस:--- हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया कि_* *_सबसे पहले क़यामत के दिन बन्दे से नमाज़ का ह़िसाब लिया जायेगा, अगर ये दुरुस्त हुई तो बाक़ी आमाल भी ठीक रहेंगे और अगर ये बिगड़ी तो सभी बिगड़े_* *📕📚अल मोअजमुल अवसत़ जिल्द 1 सफह 506 ह़दीस नं 1859*   *📕📚المعجم الأوسط،، للطبرانی، باب الألف، الحدیث ۱۸۵۹ جلد ۱ صفحہ ۵۰۶* *...

विसाले_मुस्तफा_ﷺ

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*#विसाले_मुस्तफा_ﷺ* बहुत ही प्यारा पैगाम है आपसे गुज़ारिश है कि आप इसे पूरा सुकून व इत्मिनान के साथ दिल की आंखों से पढ़ें इन शा अल्लाह आपका ईमान ताज़ा हो जाएगा..!! .................................💖................................. वफात से 3 रोज़ क़ब्ल जबकि हुज़ूर ए अकरम ﷺ उम्मुल मोमिनीन हज़रत मैमूना رضی اللّٰہ تعالیٰ عنہا के घर तशरीफ फरमां थे.इरशाद फरमाया कि:          "मेरी बीवियों को जमा करो-" तमाम अज़वाजे मुत्तहरात जमा हो गईं- तो हुज़ूरे अकरम ﷺ ने दरियाफ्त फरमाया:          "क्या तुम सब मुझे इजाज़त देती हो कि बीमारी के दिन मैं आयशा (رضی اللّٰہ تعالیٰ عنہا) के यहां गुज़ार लूं?" सबने कहा:         "अय अल्लाह के रसूल ﷺ ! आपको इजाज़त है-" फिर उठना चाहा लेकिन उठ ना पाए तो हज़रत अली इब्न अबी तालिब और हज़रत फज़्ल बिन अब्बास رضی اللّٰہ تعالیٰ عنہما आगे बढ़े और नबी علیہ الصلاۃ والسلام को सहारे से उठा कर सैय्यदा मैमूना رضی اللّٰہ تعالیٰ عنہا के हुजरे से सैय्यदा आयशा رضی اللّٰہ تعالیٰ عنہا के हुजरे की तरफ ले जाने लगे- उस वक़्त...